पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५९४

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किशोरी-इस काम के लिये तो भूतनाथ को युलाना चाहिये। कमला इस बारे में तो मैं खुद शर्माती हूँ। इतना सुनते ही सब की सब मुस्कुरा पडी और कमलिनी तथा लक्ष्मीदेवी ने मुहब्बत की निगाह से कमला को देखा। लक्ष्मी-मेरा दिल गवाही देता है कि मूतनाथ का मुकदमा एकदम से पलट जायगा । कमलिनी-ईश्वर करे ऐसा ही हो बल्कि मै तो चाहती हूँ कि मायारानी का मुकदमा भी एकदम से औधा हो जाय और तारा वहिन तारा की तारा ही बनी रह जाय। ये सब बडी देर तक बैठी हुई मायारानी के जख्मों पर नमक छिडकती रहीं और न मालूम कितनी देर तक बैठी रहती अगर इनके कानों में यह खुशखबरीन पहुचती कि राजा वीरेन्द्रसिह की सवारी इस किले में दाखिल हुआ ही चाहती है। दसवां बयान आज रोहतासगढ़ किले के अन्दर राजा वीरेन्द्रसिह की सवारी आई है जिससे यहा की रिआया बहुत ही प्रसन्न है। छोटे छोटे बच्चे भी उनके आने की खुशी में मग्न हो रहे है। इसका सवय यही है कि राजा वीरेन्द्रसिह जबजहा रहते है खैरात का दरवाजा वहा खुला रहता है । यो तो जहाँ इनकी अलमदारी है बराबर खैरात हुआ ही करती है मगर जहा ये स्वय मौजूद रहते है खैरात ज्यादे हुआ करती है । खैरात का मकान और बन्दोबस्त अलग है। कोई आदमी वापस नहीं जाने पाता और जिसको जिस चीज की जरूरत होती है दी जाती है तीन वर्ष से ऊपर और बारह वर्ष से कम उम्र वाले लड़कों को मिठाई वाटने का हुक्म है और तीन वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों को चीनी के खिलौने बाटे जाते हैं। चीनी क खिलौने मिठाइयों और साथ ही इसके कपड़ों का चाटना तभी तक जारी रहता है जब तक राजा वीरेन्द्रसिह स्वय मौजूद रहत है और अन्न तो हमेशा चटा करता है। यही सबर है कि आज रोहतासगढ के छोटे छाटे बच्चों को भी हद से ज्यादा खुशी चढी हुई है और वे झुण्ड के झुण्ड इधर उधर घूमते दिखाई दे रहे है। आज यह खबर बहुत अच्छी तरह मशहूर हो रहा। मायाराना नामी एक औरत और दारोगा राबा नामी एक मर्द इस किले में गिरफ्तार हुए है जो बीरेन्दसिह के दुश्मन है और मूतनाथ नामी कोई ऐयार गिरफ्तार किया गया है जिसका मुकदमा फैसला करने के लिए राजा साहब स्वय आये है। ये खबरें किसी एक ढग पर मशहूर नहीं है बल्कि तरह तरह का पलथन लगा कर लोग इनकी चर्चा कर रहे है और राजा वीरेन्द्रसिह के दुश्मनों को जी जान से गालिया दे रहे है। राजा वीरेन्द्रसिह के आने के साथ ही उनके ऐयारे ने एक एक करके वे कुल बातें बयान कर दी जो आज के पहिले हो चुकी थी और जिन्हें राजा वीरेन्दसिह नहीं जानते थे। भूतनाथ का हाल सुन कर उन्हें बड़ा ही रज हुआ क्योंकि कमला को ये अपनी लडकी की तरह प्यार करते थे। खैर सब यातों को सुन सुना कर राजा रीरेन्द्रसिह महल में गए और कमलिनी लाडिली और कमला इत्यादि से इस तरह मिले जैसे बड़े लोग अपनी लडकियों और भतीजियों से मिला करते है और उन सभों ने भी वैसी ही मुहब्बत और इज्जत का बर्ताव किया जैसा नेकचलन लडकिया अपने बाप और चाचा के साथ करती है। सभों को प्यार और दिलासा देकर राजा वीरेन्दसिह बाहर आये और आज का दिन तेजसिह से सलाह विचार करने में बिताया। दूसरे दिन दोपहर के बाद शेरअलीखा से मुलाकात की.और घटे भर रात जाने बाद भूतनाथ का मुकदमा सुनने का विचार प्रकट करक कहा कि मायारानी तथा दारोगा का भुकदमा भूतनाथ के मुकदमे के बाद सुना जायगा। राजा वीरेन्द्रसिह ने तेजसिह से यह भी कह दिया कि भूतनाथ का मुकदमा महल के अन्दर सुना जायगा और उस समय हमारे ऐयारों के सिवाय यहा किसी गैर के रहने की जरूरत नहीं है। औरतों में भी सिवाय लडकियों के जो चिक के अन्दर बैठाई जायगी कोई लौडी इतना नजदीक न रहने पाव कि हम लोगों की बाते सुने, और पलभदसिह की गद्दी हमारे पास ही बिछाई जाय। हमारे पाठक सवाल कर सकते है कि जब मुकदमा सुनने के समय ऐयारों के सिवाय किसी गैर आदमी के मौजूद रहने की मनाही कर दी गई तो किशोरी कमलिनी और लक्ष्मीदेवी इत्यादि को पर्दे के अन्दर बैठने की क्या जरूरत थी? इसका जवाब यह हो सकता है कि ताज्जुब नहीं राजा वीरेन्दसिह ने सोचा हो कि जिस समय भूतनाथ का मुकदमा सुना जायगा और उसके ऐचों की पोटलियाँ खोलने के साथ साथ सबूत की चीठिया अर्थात वह जन्मपत्री पढी जायगी जो बलभद्रसिह ने दी तो वशक लडकियों के दिल पर चोट बैठगी और उनके चेहरे तथा अगों से उनकी अवस्था अवश्य प्रकट होगी कोन ठिकाना कोई चीख उठे काई बदहवास हो के गिर पड़े या किसी से किसी तरह की बेअदबी हो जाय तो यह अच्छी बात न होगी। बड़ों के सामने अनुचित काम बेबसी की अवस्था में हो जाने से दिल को रज पहुचेगा और देवकीनन्दन खत्री समग्र ५८६