पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५८९

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he इसकी कुछ भी परवाह न की और बड़े गभीर भाव से चुप खडा रहा तथा शेरअलीखा के हमले को बर्दाश्त कर गया मगर शेरअलीखा के हमले का नतीजा कुछ भी न निकला क्योंकि उसकी तलवारजिन्न के फौलादी जेरै (कवच) पर बडे जोर से बैठी और टूट कर झन्नाटे की आवाज देती हुई जमीन पर गिर पड़ी। इसके साथ ही उन पाचों आदमियों ने भी जिन्न पर हमला किया मगर जिन्न ने इसकी भी कुछ परवाह न की बल्कि शेरअलीखा के गले में हाथ डाल तथा पैर की आड लगा कर ऐसा झटका दिया कि वह किसी तरह सम्हल न सका और जमीन पर गिर पड़ा। जिन्न उसकी छाती पर सवार हो गया और जोर से बोला 'खवरदार मुझ पर कोई हमलान करे। कोई मेरी तरफ बढा और मैने शेरअलीखा का सरकाटकर अलग किया। मालूम होता है कि वे पाचों आदमी शेरअलीखा के ही नौकर थे क्योंकि उसी के इशारे से जिन्न पर हमला करने के लिए तैयार हो गये थे और जब उसी को जिन्न के नीचे मजबूर देखा तो यह सोचकर कि कदाचित् हमलेगों के हमला करने से नाराज हाकर जिन्न उसका सर काट ही न ले हमला करने से रुक गये और पीछे हट कर ताज्जुब की निगाहों स उस विचित्र व्यक्ति को देखने लगे जिसने अपना नाम जिन्न रक्खाथा साथ ही इसके डर और आश्चर्य ने मायारानी और दारोगा के पैर भी जमीन के साथ चिपका दिये। जब हमला करने वाले अलग हो गये तो जिन्न ने नर्मी के साथ शेरअलीखा से कहा जो उसके नीचे दबा हुआ मजबूर पड़ा था और जीवन की आशा छोड चुका था- जिन्न-मुझे आपसे किसी तरह की दुश्मनी नहीं और न मैं आपकी जान ही लिया चाहताई, सिर्फ दो बात आपसे पूछा चाहता हूं लेकिन अगर इसमें किसी तरह के हीले और हुज्जत को जगह मिलेगी तो लाचार रहम भी न कर सकूँगा। शेर-वे कौन सी दो बाते है। जिन्न-एक तो जा कुछ मैं आपस पूछू उसका जवाब सच सच दीजिये। शेरअलीखा ने सिर हिला दिया मानों स्वीकार किया। जिन्न-दूसरी बात मैं अपने सवालों के अन्त में कहूगा। शेर-बहुत अच्छा इन्हें भी पूछ डालिये ? जिन्न-आपने इस कम्बख्त मुन्दर का साथ क्यों दिया जिसने अपने को मायारानी के नाम से मशहूर कर रक्खा है। 'गुन्दर के शब्द में जादू का असर था जिसने मायारानी और दारोगा के कलेजे को दहला दिया। यह एक ऐसी गुप्त और भेद की बात थी जिसके सुनने के लिये दोनों तैयार न थे और न यहाँ सुनने की उन दोनों को आशा ही थी। शेर-(ताज्जुब से ) मुन्दर । जिन्न-हा मुन्दर आप यह न समझिये कि यह आपके दोस्त बलमदसिह की लड़की है। शेर-तो क्या यह हमारे दोस्त के दुश्मन हेलासिह की लडकी मुन्दर है ? जिन्न-जी हा। शेर-(जोश के साथ) बस आप मेहरबानी करके मुझे छोड़ दीजिए। अगर आप बहादुर हैं और आपको बहादुरी का दावा है तो मुझे छोडिये मैं कसम खाकर कहता है कि अगर आपकी बात सच निकली तो आपकी गुलामी अपनी इज्जत का सबब समझूगा। जिन्न तुरन्त उसकी छाती पर से उठ कर अलग खड़ा हो गया और मायारानी तथा दारोगा की सूरत गौर से देखने लगा जिनके चेहरे का रंग गिरगिट की तरह बदल रहा था। शेर अलीखाँ उठ कर खड़ा हो गया और गुस्से मरी आँखों से मायारानी की तरफ देखकर बोला 'इस बहादुर ने (जिन्न की तरफ इशारा करके ) जो कुछ कहा क्या वह ठीक है? माया झूठ बिल्कुल झूठ जिन-शायद मुन्दर को इस बात की खबर नहीं कि असली मायारानी अर्थात् लक्ष्मीदेवी का बाप प्रकट हो गया और वीरेन्दसिह के ऐयारों के सामने ही वह अपनी लडकी लक्ष्मीदेवी से मिला जो तारा के नाम से कमलिनी के मकान में इस तरह रहती थी कि कमलिनी को भी अब तक उसका हाल मालूम न होने पाया था और इस समय बलमदसिह और लक्ष्मीदेवी इस रोहतासगढ़ किले के अन्दर मौजूद भी है।(शेरअलीखा से) मैं समझता हू कि तुम उनसे मिलना खुशी से पसन्द करोगे और मुलाकात होने पर सच झूठ में किसी तरह का शक भी न रहेगा अच्छा अब मैं जाता हू, तुम जो चन्द्रकान्ता सन्तति माग १२ ५८१