पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५३५

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दि - या नसुन्दरसिर के हाथ यह चीटी क्योंपर लगी। भगवनिया इस चोटी को दखत ही जर्द पड़ गइ कलज' धकधक करना मौत की भयानक सूरत सामने दिखाई दने लगी गला रुक गया और वह कुछ भी जवाब न द सकी। अब रसमसुदरभि बदारतान कर स्का उसन एक नमाचा नादायीक मुर पर जमाया और कहा - कम्बख्त अच वालाती क्यों नहींग नव भगवानी ने इस बात का भी जवाब दिया ता स्यामसुन्दरसिह ने न्याय से तलवार निकाल ली और हाथ ऊचा फरक कहा अब भी अगर साफ साफ भद न बतानगी तो में एक ही हाथ में दो टुकड कर दू।। मायानी का निश्चय हो गया कि अब जान किसी नरह नहीं बच सकती इसके अतिरिक्त डर का मगर उसकी अजय हालत हा गई और कुछ ता न कर सकी हा एक दम जोर से चिल्ला उठीं और इसके साथ ही एक तुरफ से आवाज आई कोन है जामद हाफर एव स्त्रो की जान लिया चाहता है? श्यामसुन्दरसिह ने फिर कर दखाता दाहिना तरफ थोडी ही दूर पर एक नौजवान को हाथ मे खजर लिए मौजूट पाया। उस नौजवान न श्यामसुन्दसिह से पुन कहा यह काम गर्दा का नहीं है जा तुम किया चाहते हो । जिसके जवाब में श्यामसुन्दरासह ने कहा 'यशक यह काम गर्दा का नहीं मगर लाचार हू कि यह नमकहरग्म मेरी बातों का जवाब नहीं दता और मैं दिना जबाद पाये इसे किसी तरह नहीं छोड़ सकता। यह आदमी श्यामसुन्दरसिंह के पास यकायक आ पहुंचा जी हमारा ऐयार भैरोसिह था जो कमलिनी के मकान के दुश्मनों से घिर जान की खबर पाकर उसी तरफ जा रहा था और इत्तिफाक स यहा आ पहुंधा था मगर वह श्यामसुन्दसिंह और भगवनिया को नहीं पहियानना था और व दाना की इस सूरत वदले हुए और रात का समय हने के कारण र पहिचान सके। भैरामिह ने पुन कहा- भैरो-यदि हज न हो तो मुझे बताआ कि यह तुम्हारी किन बातों का जवाब नहीं देती? श्याम-रता दर्न में हजता काई नहीं अगर आप उन लागा में से नहीं है जिन्हे हम लोग अपना दुश्मन समझते है क्योंकि यह पद की बात है ओर अपना मेद दुशान) के सम्मान प्रकट करपा नीतिक विरुद्ध है। उत्तम ता यह हागा कि हमारा भद जानने यो पहिल आप अपना परिचय दे। भैरो-ता तुम्ही अपना परिचय क्यो नहीं दत' श्याम-इसलिए कि ऐबार लोग भद जानने के लिए समय पइन पर उसी पक्ष वाले बन जाते है जिससे अपना काम निकालना हाताई। भैरो-टीक है मगर बहादुर राजा पीरदास करयारा-से कोई भी एसा कमहिम्मत नहीं है उगे मुल मैदान में एक औरन और एक मद से अपन का छिपाने का उद्योग करें। श्याम-(खुश होकर ) अहा अब मालूम हा गया कि आप राजा वीरेन्दसिह के एयारों में स कोई है। ऐसी अवस्था में मै भा यह कहन म विलम्ब न लाजगा कि में श्यामसुदरसिह नामी कमलिनीजी का सिपाही हू और यह भगवानी नाम की उन्हों की पइमानी लाडी है जिसकी नमकहरामी और बईमानी का यह नतीजा निकला कि दुश्मनों ने तालाब बाल तिलिस्मी मकान पर कब्जा कर लिया और किशारी कामिनी तथा लारा का कुछ पता नहीं लगता। अब तक जो मालूम हुआ हे उस जाना जाता है कि इसी कम्बखनन उन तीनों को भी कित्ता आफल में करा दिया है जिसका खुलाम्ग भद इसस पूछ रहा था कि आपकी आवाज आइ और आपस बातचीत करने की प्रतिष्ठा प्राप्त हुई। भैरो-(जाश के साथ ) आह यह ता एक ऐसाद है जिसके जानन का सबसे पहिला हकदार में है। में उही तीतों म मिलन के लिए जा रहा था जय रास्त में मुझ यह मालूम हुआ कि उम तिलिस्मी मकान का दुश्मनों नेघर तयार इसलिए जल्द पहुचने की इच्छा स जगल हा जगल दाडा जा रहा था कि यहा तुम लागों स भट हो गई श्याम-यदि एसा है तो उप कृपा कर आप अपनी असली सूरत शीघ्र दिखाय जिसस में आपका पहिचान र अमन दिल के बचे बचाप सुटके का निकाल डालू क्यावि. राजा वीरेन्दसिह के कुल ऐयारों का मै पहिचारता हू। श्यामसुन्दरसिह की बात सुन कर भरोगिह न बटुए म से सामान निकाल कर बनी जल्लई और बन! - पालो का अलग करके अपना चेहरा साफ दिया दिया। श्यामसुन्दरसिह यह कहकर कि 'अहा मैन बखूबी पहिचान लिया कि आप चन्द्रकान्ता सन्तति भाग ११ ५२७