पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/५१४

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cy1 दारोगा-का एक भारी आवश्यकता पड़ जान के कारण एसा करना पड़ा। कहो तुम अच्छे तो हो? बहुत दिन पर दिखाई दिये। आदमी-जी आपकी कृपा से बहुत अच्छा डू हाल ही मजद खाप या आय ये तो में एक जरूरी काम के लिए भेजा गया था इसी से आपके दर्शन न कर सका करा जय में लोड कर आया हा मालूमआ कि सायाजी आये थे पर एक ही दिन रह कर चल गय ( आश्चर्य के ढगस) मगर यह नाक में पट्टी के बंधी है ! दारोगा-कल लजाई में एक आदमी ने वकार मुझे जरी किरमा इसा स पट्टी का न की आवश्यकता हुई। आदमी काध में आकर } किसकी मौत आई है जिसने हम लेगों के होतापके साथ एसा किया जिरा नाम तो बताइये। दारोगा-अब आया हूँ तो अवश्य सब कुछ कहूगा पाहेल यह यताजो कि इस समय तुग जाते कहा हा? आदमी-एक काम के लिए महाराज ने भेजा है. सध्या होने के पहिले ही लौट आऊगा, यदि आज्ञा हो तो महाराज के पास जाकर आपके आने का सपाद दू? दारोगा- नहीं नहीं इसकी आवश्यकता नहीं है में चला जाऊगा तुम जाओ जब लोटोगता रात को पातचीत होगी। आदमी-जा आज्ञा पारागा का पैर छूफर वह आदमी यहा से रोजी के साथ चला गया और इसके बाद मायाराणी ने दारोगा से कहा अफसोस यहा तक नायत आ पहुची कि अब हर एफ आदमी यारह परदे के अन्दर रहने वाली मायारानी को खुल्लम-युल्ला देख सकता है जैसा कि अभी इस मेर आदमी ने देखा। दारोगा-तुझे इस बात का अफसोस न करना चाहिए। समय न जय तुझे अपने घर से बाहर कर दिया रिआया से बदतर बना दिया, हुकूमत छीन कर बेकार कर दिया बल्कि यों कहना चाहिए कि वास्तव में छिपकर जान बचाने लायक कार दिया तो परदे ओर इज्यात का ख्याल कैसा। किस बात बिगदरी के वास्त? क्या तुझे आशा है कि राजा गोपालसिह अब तुझे अपनी बनाकर रक्या? कभी नहीं । फिर लज्जा का ढकोसला क्यों ? हा समय ने अगर तेरा नसीब चमकाया और तू हम लोगों की मदद से गोपालसिह धीरेन्द्रसिह था उसके लड़कों पर फतह पाकर पुन तिलिस्म की रानी हो गई तो तुझे उस समय आज की ग्लिज्जता की परवाह न रहेगी क्योंकि रुपये वालों का ऐव जमाना नहीं देखता, रुपये वाले की खातिर में कभी नहीं हाती रुपये वाले को कोई दोष नहीं नगला और रुपये वालों की पहिली अवस्था पर काई ध्यान नहीं देता फिर इसके लिए साचो विधारने से क्या फायदा? तू आज में अपने को मर्द समझ ले और मर्दो की ही तरह जो कुछ में सलाह दू कर । मायारानी यात तो आपाटीक फही वास्तव में एसा ही है। अब आज से में रसो तुच्छ बातों पर ध्यान न दूंगी। अच्छा जहा चलना हो चलिए मै बखूबी आराम कर चुकी दा यह बताइय कि वह आदमी कौन था और उसन मुझे पहिचाना कैसे? दारोगा- यह इददेव का ऐयार है मुझस मिलने के लिए वावर आयर करता था यही समय है कि तुझे पहिचानता है और फिर ऐयारों से यह बात कुछ दूर नहीं है कि तुझ सी मशहूर पहिचान लिया । इसके बाद दारोगा उठ खड़ा हुआ और मायारानी का अपन पीछे पीछे आने के लिए कह कर गुफा के अन्दर रवाना हआ। सातवां बयान मायारानी इस गुफा को साधारण और मामूली समझे हुए थी मगर ऐसा न था। थोड़ी दूर जाने के बाद पूरा अॅधकार मिला जिससे वह घबडा गई मगर दारोग के डाउस नने से उसका कपडा पकड हुए धीर धीरे स्थाना हुई। लगभग सौ कदम जाने के बाद दारोगा सका और पाई तरफ घूम कर चलन लगा। अब मायारानी पहिल क यनित्त्वत ज्यादे डरी और उसने बयडा कर दारोगा से पूछा क्या हम लाग चादने में न पहुचेंगे ? कहीं एसा न हो कि काई दरिदा जानवर मिल जाय और हम लोगों को फाड खाये। देवकीनन्दन खत्री समग्र