पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४३१

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R कमलिनी-वह दूसरी जगह रक्य गय थे। मैंन उन्हें भी कैद से छुडाया है अब थोड़ी ही देर में आप उसे निला आनन्दसिहचूपचाप इन दानों की बाते सुन रहे थे और छिपी निगाहो से लाडिली के रूप की अलौकिक छटा का भी आमन्द लरहथे। लाडिली भी पम की निगाहो से उहे दख रही थी। इस बात को कमलिनी न भी जान लिया मगर वह तरट दे गई। जब आनदसिह न तजत्तिह का हाल सुना तब चौके और कमलिनी की तरफ दस कर चाल- आनन्द-सुना है कि हमारे माता पिता भी कमलिनी हा उन दोनों को भी कम्बा मायारानी ने फसा लिया है। हाय मैने सुना है कि ये दोनो क्यारे बड़े ही सकट में है और सहज ही में उन दोनों का धूटना मुश्किल है तथापि उद्योग में विलम्ब न करना चाहिए 1 अब आप कोई सवाल न कीजिए और यहा से जल्द निकल चलिये। राजा वीरेन्द्रसिह और रानी चन्दकान्ता का हाल सुन कर सब के सब धघडा गये और आगे कुछ सवाल करने की हिम्मत न पडी। कुमार कमलिनी के साथ चलने के लिए तैयार हो गए और सभों को साथ लिए हुए कमलिनी फिर उसी तहखाने में उतर गई जहाँ से आई थी। कुँअर इन्द्रजीतसिह किशोरी का और आनन्दमिह कामिनी का हाल पूछन के लिए बैचैन य मगर मौका न समझ कर धुप रह गये। नीच जान पर मालून हुआ कि यह एक सुरंग का रास्ता था मगर यह सुरग साधारण न थी। इसकी चौड़ाई केदल इतनी थी कि दो आदमी घराबर मिल कर जा सकते थे। ऊंचाई की यह अवस्था थी कि हर एक मर्द हाथ ऊधा करक उसकी छत छू सकता था! दानों तरफ की दीवार स्याह पत्थर की थी। जिस पर तरह तरह की खूबसूरत भयानक और कही काही आश्चर्यजनक तस्वीरे मुसोवरों की कारीमरी का नमूना दिखा रही थी अर्थात रगों सदनी पत्थर गदकर नहीं बनाई गई थी परन्तु उन तस्वीरों के रंग की भी यह अवस्था थी कि अभी दो चार दिन की बनी मालूम होतो थी जिन्हें देरो हमारे कुमारों और ऐयारों का बहुत ही ताज्जुब हो रहा था। कम-(इन्द्रजीतसिंह से ) आप चाहते होगे कि इन विचित्र तस्वीरों को अच्छी तरह देखें। इन्द--बेशक एसा ही है इस दौडि में ऐसी उत्तन तस्वीरों के देवने का आनन्द कुछ भी नहीं मिल सकता और यहा की एक एक तस्वीर ध्यान दकर देखने योग्य है परन्तु क्या किया जाय जब से अपने माता पिता का हाल तुम्हारी जुबानी सुना है जी बेचैन हो रहा है यही इच्छा होती है कि जहा तक जल्द हो सके उनके पास पहुचे और उन्हें कैद से छुड़ायें। तुम स्वय कह चुकी हो कि वह बड सकट में पड़े है परन्तु यह न जाना गया कि उन्हें किस प्रकार का सक्ट है! कम-आपका कहना बहुत ठीक है इन तस्वीरो को देखन के लिए बहुत समय चाहिए बल्कि इनका हाल और मतलव जानन के लिए कई दिन चाहिए और यह समय यहॉ अटकने का नहीं है मगर साथ ही इसके यह भी याद रखिये कि आप दो चार या दस घटे के अन्दर ठिकाने पहुँच कर अपने माता पिता का नहीं छुड़ा सकते। मुझे ठीक ठीक मालूम नहीं कि वह फिस कैदखाने में कैद है पहिले तो इसी बात का पता लगाने के लिए कई दिन नहीं तो कई पहर चाहिये। इन्द्र-तो क्या तुमने उन्हें अपनी आयों से नहीं देखा? कमलिनी-नहीं मगर इतना जानती हूँ कि इस बाग के चौथे दर्जे में कित्ती ठिकाने में कैद है। इन्द-क्या इस दाग के कईदर्जे है जिसमें मायारानी रहती है और जहा हम लोग यहोश करके लाय गये थ? कम-हा इस बाग के चार दर्जे है। पहिल दर्जे में तो सिपाहेयों और नौकरो के ठहरने का ठिकाना है दूसर दर्जे में स्थय मायारानी रहती है तीसरे और चौथे दर्जे में कोई नहीं रहता हा यदि कोई ऐसा कैदी हो जिसे बहुत ही गुप्त रचना मजूर हा तो यहा भेज दिया जाता है। तीसरे और चौथे दर्जेको तिलिस्म कहना चाहिए बल्कि चौथा दजातो (कार कर) आफ बड़ी बड़ी न्यानक चीजों से भरा हुआ है। इन्द-तो उसी चौथे दर्ज मे हमारे माता पिता कैद है? कमलिनी-जी हा। आनन्द-शायद तुम्हारी छोटी बहिन कुछ जाती हो जो तुम्हारे साथ है ? कमलिनी-मही नहीं यह बेचारी तोतर धौधे दर्जे का हाल कुछ भी नहींजानती। लाडिली-बल्कि तीसरे और पीय दर्जे का पूरा पूरा हाल मायारानी को भी नही मालूम। कमलिनी यहिन का भी कुछ मालूम नया मगर दो ही चार महीनों में न मालूम क्योंकर वहा का विचित्र हाल इन्? मालूम हो गया। दयिय इसी सुरग का जित हमलाप जा रहा है मायारानी भी नहीं जानती थी और मुझ तो इसका कुछ गुनगान भी न था। हॉपर कमलिनी के हाच की वह मानवती जल कर पूरी हो गई और कमलिनी ने उसे जमीन पर फेक दिया। अब इस सुरग में कपल उस कन्दीन की रोशनी रह गई जो ये लोग कैदखाने में गये थे और इस समय तारासिह उसे चन्द्रकान्ता सन्तति भाग: ४११