पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/४०७

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BA नेमची रिक्तग्रन्थ इस शब्द में न भालूम कैसा असर था कि सुनते ही तेजसिव केगेंगटे खड़े हो गए सिर नीचे कर लिया और न जाने क्या सोचने लगे। थोडी देर तक तो ऐसा मालूम होता था कि वह तेजसिह नहीं है बल्कि पत्थर की कोई मूरत है। आखिर वे एक लम्बी सास लेकर उठ खडे हुए और सिपाही का हाथ पकड कर बोले अब कहो तुम्हे मैं अपने साथियों में से कोई समझू या अपना पपका दुश्मन जानू ? सिपाही-दानों में से काई भी नहीं। तेज-यह और भी ताज्जुब की बात है (कुछ साच कर) हा ठीक है यदि तुम चोर होते तो इतनी दिलावरी के साथ मुझसे बातें न करते बल्कि मरे सामने ही न आते 'लेकिन यह ता मालूम होना चाहिए कि तुम हो कौन ? क्या रिक्तग्रन्थ तुम्हारे पास है? सिपाही-जी नहीं यदि वह मेर पास होता तो अब तक राजा वीरेन्द्रसिह के पास पहुंच गया होता। तेज-फिर यह शब्द तुमन कहाँ से सुना? सिपाही-यह वही शब्द है जिसे आप लोग समय पड़ने पर आपस में कह कर इस बात का परिचय देते हैं कि हम राजा वीरेन्द्रसिह के दिली दोस्तों में से कोई हैं। तेज-हा बेशक यह वही शब्द है तो क्या तुम राजाधीरन्द्रसिह के दिली दोस्तों में से कोई हो ? सिपाही-नहीं हा होंगे। तेज-(चिढ कर ) तुम अजय मसखरे हो जी साफ साफ क्यों नहीं कहते कि तुम कौन हो? सिपाही-(हस कर) क्या उस शब्द के कहने पर भी आप मुझ पर भरोसा न करेंगे? तेज-( मुंह बना कर और बात पर जोर देकर) हाये हाय कह ता दिया कि भरोसा किया भरोसा किया भरोसा किया । झख भारा आर भरोसा किया । अब भी कुछ कहोगे या नहीं? अपना नाम बताओगे या नहीं? सिपाही-अच्छा तो आप ही पहिले अपना परिचय दीजिए। तेज-मैं तेजसिह हूँ-बस हुआ ? अब भी तुम अपना कछ परिचय दोगे या नहीं? सिपाही-हा हा अय में अपना परिचय दूगा मगर पहिले एक बात का जवाब दे दीजिए। तेज-अभी एक आच की कसर रह गई अच्छा पूछिए । सिपाही-यदि कोई ऐसा आदमी आपक सामने आवे जो आपसे मुहब्बत रक्खे आपके काम में दिलोजान से मदद दे आपकी भलाई के लिए जान तक देने को तेयार रहे मगर उसके बाप दादा चाचा भाई इत्यादि में से कोई एक आदमी आपके साथ पूरी पूरी दुश्मनी कर चुका हो तो आप उसके साथ कैसा बर्ताव करेंगे? तेज-जा मेरे साथ नेकी करंगा उसके साथ मैं दोस्ती का बर्ताव करूँगा चाहे उसके बाप दादे मेरे साथ पूरी दुश्मनी क्यों न कर चुके हों। सिपाही-ठीक है ऐसा ही करना चाहिए अच्छा तो फिर सुनिय-मेरा नाम नानक है और मकान काशीजी । तेज-नानक सिपाही-जी हा और मेरा किस्सा बहुत ही आश्चर्यजनक है। तेज-मैने यह नाम कहीं सुना है मगर याद नही पड़ता कि कब और क्यों सुना। इसमें काई सन्देह नहीं कि तुम्हारा हाल आश्चर्य और अद्भुत घटनाओं से भरा होगा। मेरी तबीयत घबडा रही है जहाँ तक जल्दी हो सके अपना ठीक हाल कहो। नानक-दिल लगा करसुनिये में कहता हूँ, यद्यपि उस काम में देर हो जायेगी जिसक लिए मैआया हू तथापि मेरा किस्सा सुनकर आप अपना काम बहुत आसानी से निकाल सकेंगे और यहाँ की बहुत सी बातें भी आपको मालूम हो जायगी। नानक का किस्सा 1 लडकपन में बडे चैन से गुजरती थी। मेरे घर में किसी चीज की कमी न थी। खाने के लिए अच्छी से अच्छी चीज पहिरन के लिए एक से एक बढ़ के कपड़े और व सब चीजे मुझे मिला करती जिसकी मुझे जरूरत होती या जिनके लिए में जिद किया करता। माँ से मुझे बहुत ज्यादे मुहब्बत थी और बाप से कम क्योंकि मेरा बाप किसी दूसरे शहर में किसी राजा के यहाँ नौकर या चौथे पाँचवें महीने और कभी कभी साल भर पीछे घर में आता और दस पाँच दिन रह कर चला जाता था। उसका पूरा हाल आगे चल कर आपको मालूम होगा। मेरा बाप मेरी माँ को बहुत चाहता था और जब घर आता तो चन्द्रकान्ता सन्तति भाग ७ ३०७