पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३८४

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

Gri कम-इसम तो काई सन्देह नहीं कि में अवश्य छूट जाऊँगी। तुम अपने घर का पता और अपनी सखी का नाम वताओ में जरूर उससे मिल कर तुम्हारा हाल कहूँगी और स्वय भी जहाँ तक हो सकेगा तुम्हें छुडाने के लिए उसका साथ दूगी। मनो-यदि एसा कर। ता में जन्म भर तुम्हारा ऐहसान मानूगी। जब उसके कान तक मेरा हाल पहुँच जायगा ता तुम्हारी मदद की आवश्यकता न रहगी। कम-खेर ला अब पता और नाम यतान में विलम्ब न करो कहीं ऐसा न हो कि कमलिनी आ जाय तब कुछ न हा सकगा। मनो-हाँ ठीक है-काशीजी मे त्रिलोचनश्वर महादेव के पास लाल रंग का मकान एक छोट से बाग के अन्दर है। मछली क निशान की स्याह रम की झण्डी दूर से ही दिखाई दगी। मरी सखी का नाम नागर है समझ गई? कम-मैं खूब समझ गई मगर उसे मरी बात का विश्वास कर होगा? मनो-इसमें विश्वास की कोई जरूरत नहीं है यह मुझ पर आफत आने का हाल सुनते ही वैचन हो जायगी ओर किसी तरह न रुकगी। कम-तथापि मुझ हर तरह स दुरुस्त रहना चाहिए शायद वह समझे कि यह मुझ धोखा देने आई है और चाहती है कि मै घर के बाहर जाऊँ तो काई मतलब निकाले । मनो-( कुछ साच कर ) हाँ ऐसा हो सकता है अच्छा में तुम्हें एक परिचय देती है, जब वह बात उसके कान में कहागी तब वह तुम्हारा पूरा विश्वास कर लेगी परन्तु उस परिचय का वडी होशियारी से अपने दिल में रखना खवरदार दूसरा जानने न पाये नहीं ता मुश्किल होगी और मेरी जान किसी तरह न बचेगी ! कम--तुम विश्वास करो कि वह शब्द सिवाय एक दफे के जब मै तुम्हारी सखी के कान में कहूँगी दूसरे दफे मेरे मुह से न निकलगा। 1 इधर उधर देख कर ) जल्द कहो अब देर न करो। मनो-(कमलिनी की तरफ झुक कर धीरे से )"बिकट शब्द कहना, फिर सन्देह न करेगी और तुम्हे मेरा विश्वासपात्र समझगी। कम-ठीक है अव जहाँ तक जल्द हा सकेगा मैं तुम्हारी सखी के पास पहुचूगी और अपना मतलब निकालूगी। मनो-पहिले तो यह देखना है कि कमलिनी तुम्हें क्योंकर छोड़ती है। जय तुम छूट जाओगीतम कहीं जाकर मुझे अपने छूटने की उम्मीद होगी। कम-(हॅस कर ) में उतनी ही देर में छूट जाऊँगी जितनी देर में तुम एक से लेकर निन्याभबे तक गिन सको। इतना कह कर कमलिनी ने सीटी बजाई। सीटी की आवाज सुनते ही तारा और भूतनाथ जो वहा से थोड़ी दूर पर एक झाडी के अन्दर छिपे हुए थे कमलिनी के पास आ पहुंचे। कमलिनी ने मुस्कराते हुए उनकी तरफ देखा और कहा मुझ छाड दो। भूतनाथ ने कमलिनी का जो पड से बंधी हुई थी खोल दिया। कमलिनी उठ कर मनोरमा के पास आई और बोली क्यों मैं अपने कहे मुतायिक छूट गई या नहीं। कमलिनी की चालाकी क साथ ही भूतनाथ की सूरत देख कर मनोरमा सन्न हो गई और ताज्जुब के साथ उन तीनों की तरफ देखने लगी। इस समय भूतनाथ के चेहरे पर उदासी के बदले खुशी की निशानी पाई जाती थी। भूतनाथ ने हँसकर मनोरमा की तरफ देखा और कहा क्या अब भी भूलनाथ तेरे कब्जे में है ? अगर हो ता कह इसी समय कमलिनी का सर काट कर तेरे आगे रख दूं क्योंकि वह यहाँ मौजूद है। मनोरमा ने क्रोध के मारे दात पीसा और सर नीचा कर लिया। थोड़ी देर बाद बोली अफसोस में धोखा खा गई। कम-(तारा से ) अब समय नष्ट करना ठीक नहीं। इस हरामजादी को तुम ले जाओ और लोहे वाले तहखाने में बन्द करो फिर देखा जायगा। { अपने हाथ का नेजा देकर ) इस नेजे को अपने पास रक्खो और वह खजर मुझे दे दो अव नेज क बदले खजर ही रखना मै उचित समझती हूँ, यद्यपि एक खजर मेरे पास है परन्तु वह कुँअर इन्दजीतसिह के लिए है। तारा-में भी यही कहा चाहती थी क्योंकि खजर और नेजे में गुण तो एक ही हैं फिर ढोढा लेकर घूमन से क्या फायदा यह लो खजर अपने पास रक्खो। कम-(भूतनाथ से ) तुम भी तारा के साथ जाओ और इस हरामजादी को हमार घर पहुंचा कर बहुत जल्द लौट आओ तब तक मैं इसी जगह रहूँगी और तुम्हारे भाते ही तुम्हें साथ लेकर काशीजी जाऊँगी। पहिले तुम्हारा काम करके कुँअर इन्द्रजीत सिंह से मिलूंगी और मायारानी की मडली को जिसने दुनिया में अन्धेर मचा रक्खा है जहन्नुम में भेजूगी। देवकीनन्दन खत्री समग्र