पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३८१

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2 भूत-वशक एसा ही है और मैं तुमसे आखिरी मुलाकात करने आया हू क्योंकि अब जीने की उम्मीद नहीं रही और खुली बदनामी बल्कि कलक मजूर नहीं। कम-क्यों क्या एसी क्या आफत आ गई कुछ कहो तो सही? भूत-मेर साथ पहाडी क नीच चला। मै एक औरत को बेहोश करके लाद लाया हूँ जा उसी खाह के अन्दर है पहिले उसे देख लो तव मरा हाल सुना । कम-और ऐसा ही सही चलो। भूतनाथ के साथ ही साथ कमलिनी पहाडी क नाचे उतरी ओर उस खाह के मुहाने पर आ कर बैठ गई जिसके अन्दर भूतनाथ न उस औरत का रक्या था। भूतनाथ उस बेहोश औरत का सोह के बाहर निकाल लाया। कमलिनी उस ओरत का देखत ही चोकी और उठ यडी हुई। भूत-इसी के मारे मरी जिन्दगी जवाल हो रही है मगर तुम इस देख कर चौकी क्या ? क्या इस औरत को पहिमानती हा कम-हाँमै इस पहिचानती हूँ। यह वह काली रागिन है कि जिसक डसने का मन्त्र ही नहीं। जिस इसने काटा यह पानी तक नहीं मागता तुमने इसके साथ दुश्मनी की सा अच्छा नहीं किया। भूत-मैन जान बूझ कर इसके साथ दुश्मनी नहीं की। तुम खुद जानती हो कि मैं इसक काबू में हू किसी तरह इसका हुक्म टाल नहीं सकता मगर काल इसन जो कुछ काम करने के लिए मुझ कहा वह मै किसी तरह नहीं कार सक्ता था और इनकार की भी हिम्मत न थी लाधार इसी खजर की मदद से गिरफ्तार कर लाया हू अव काई ऐसी तकांव निकाला जिसमें मेरी जान बचे और मैं धीरन्द्रसिह का मुह दिखाने लायक हो जाऊँ। कम-मेरी समझ में नहीं आता कि तुम क्या कह रहे हो। मुझे कुछ भी नहीं मालूम कि तुम इसके कब्ज में क्योंकर फस हा न तुमने इसके बारे में कभी मुझसे कुछ कहा ही। भूत-बेशक मै इसका हाल तुमसे कह चुका है कि इसी की बदौलत मुझे मरना पडा बल्कि तुमने वादा किया था कि इसके हाथ से तुम्हे छुट्टी दिला दूगी। कम-हाँ वह बात मुझे याद है मगर तुमने तो श्यामा का नाम लिया था। भूत-ठीक है यह यही श्यामा । कम-(हॅस कर ) इसका नाम श्यामा नहीं है मनोरमा है। में इसकी सात पुश्त का जानती हू। यशक इसने अपी नाम में भी तुझको धोखा दिया। और अब मालूम हुआ कि तुम्हें इसी न सता रक्खा है तुम्हारे हाथ की लिखी हुई दस्तावेज इसी के कब्जे में है और इस सबब से तुम इस जान से मार भी नहीं सकते। इसने मुझे भी कई दफे धोया देना चाहा था मगर में कय इसके पज में आने वाली हू । हो यह ता कहा कि इसन क्या काम करने के लिए कहा था। भूत-इसने कहा था कि तू कमलिनी का सिर काट कर मर पास ल आ यह काम तुझसे यदूधी हो सकेगा क्योंकि वह तुझ पर विश्वास करती है। कम-(कुछ देर तक सोच कर) खैर काई हर्ज नहीं पहिले ता मुझे इसकी कोई विशप फिक्र न थी परन्तु अब इसक साथ चाल चले मिना काम नहीं निकालता। दखोता मै इसे कैसा दुसरत करती और तुम्हारे कागजात भी इसके कब्जे से कैसे निकालती हूँ। भूत-मगर इस काम में दर न करनी चाहिए। कम-नहीं नहीं देर न होगी क्योंकि कुँअर इन्द्रजीतत्तिह का छुडान के लिए भी मुझे इसी के मकान पर जाना पड़ेगा बस दोनो काम एक साथ ही निकल जायेंगे। भूत-मगर अब क्या करना चाहिए? कम-(हाथ का इशारा करके) तुम इस झाडी मे छिप रहा में इसे होश में लाकर कुछ बातचीत करना चाहती हू। आज वह मुझे किसी तरह से नहीं पहिचान सकती। भूतनाथ झाड़ी के अन्दर छिप रहा कमलिनी न अपने बटुए में से लखलखे की डिविया निकाली और सुधा कर उस औरत का होश में लाई। मनारमा जब होश में आई उसी अपने सामने एक भयानक रूपधारी औरत को दखा। वह घबड़ा कर उठ बैठी और बोली- मनो-तुम कौन हा और मैं यहा क्योंकर आई ? कम- जगल की रहने वाली मिल्लनीहुम्हे एक लम्चे कद का आदमी पीठ पर लाद लिया था। इस - चन्द्रकान्ता सन्तति भाग ६