पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३६०

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he दूसरा--(हेंस कर ) क्या खूब । अनी किशोरी का यह कहना कि- क्यों यहिन चुप क्यों हो गई। इस बात को साबित करता है कि वह अभी अभी इस कोठरी में मौजूद थी। पाँचवाँ-तुम्हारा कहना ठीक है मगर यहाँ तो कामिनी की पू तक नहीं आती । दूसरा-(चारों तरफ देख और उस कोठरी की तरफ इशारा करके) इसी में होगी। पाँचों ही यह कहने लगे कि कामिनी जहर इसी कोठरी में होगी हम लोगों के आने की आहट पाकर छिप गई है। आखिर सब उस कोठरी के पास गए। एक ने दाज में धक्का मारा और किवाड बन्द पाकर कहा- 'है है जरूर इसी में कोठरी के अन्दर छिप कर बैठी बेचारी कामिनी सब बातें सुन रही थी और ताली के छेद में से सभी को देख रही थी। ऊपर लिखी बातों ने उसका कलेजा दहला दिया यहाँ तक कि वह अपनी जिनदगी से उम्मीद हो गई और उसे निश्चय हो गया कि अब ये लोग मुझे गिरफ्तार कर लेंगे। पाँचों आदमी इस फिक्र में लगे कि किस तरह दर्याजा खुले और कामिनी को गिरफ्तार कर लें। एक ने कहा दर्याजा तोंड दो। दूसरे ने हँस कर जवाब दिया- 'शायद यह तुम्हारे किए हो सकेगा। उन पाँचों ने बहुत कुछ जोर मारा कामिनी को पुकारा दिलासा दिया धमकी दी जान बचा देने का वादा किया और समझाया भगर कुछ काम न चला। कामिनी बोली तक नहीं। आखिर उनमें से एक ने जो सभों से चालाक और होशियार था कहा अगर इस दर्वाजे को हम पहिले कभी बन्द देखते तो जरूर समझते कि किसीजानकार ने बाहर से ताला लगा 'कर बन्द किया है मगर अभी थोडे ही दिन हुए इस कोठरी को मैने खुला देखा था इसमें किसी का असबाब पड़ा हुआ था। जो हो यह ता निश्चय हो गया कि कामिनी इस कोठरी के अन्दर घुस कर बैठी है अब बाबाजी आवे तो इस कोठरी का दर्वाजा खुले। (कुछ सोच कर ) अब तो यही मुनासिव है कि हम लोगों में से एक आदमी जाय और चार बाकी आदमी बारी बारी से यहाँ पहरा दे जिसमें कामिनी निकल कर भाग न जाय। आखिर इस कोठरी में कय तक छिप कर बैठी रहेगी या अपनी भूख प्यास का क्या बन्दोबस्त करेगी? सभों ने इस राय को पसन्द किया। एक आदमी अपने मालिक को खबर करने चला गया एक तहखाने में उसी जगह बैठा रहा और तीन आदमी बाहर खण्डहर में निकल आए और इधर उधर टहलने लगे। सवेरा हो गया और पूरव तरफ सूर्य की लालिमा दिखाई देने लगी। बेचारी कामिनी की जान आफत में फंस गई, देखा चाहिए क्या होता है मगर उसने निश्चय कर लिया कि मूख और प्यास से चाहे जान निकल जाय मगर कोठरी के बाहर न निकलूंगी। उस बेचारी को कोठरी के अन्दर घुस कर बैठे तीन दिन हो गए। भूख और प्यास से उस बेचारी की क्या अवस्था हो गई होगी यह पाठक स्वय समझ सकते है लिखने की कोई आवश्यकता नहीं है। हम ऊपर लिख आए है कि उन पाचों में से एक आदमी अपने मालिक को खबर करने चला गया और बाकीचार इसलिए रह गए कि बारी बारी से पहरा दें जिसमें कामिनी निकल कर भाग न जाय । तीसरे दिन इनमें से तीन आदमी आयुस में बातें करते और घूमते फिरते खण्डहर के बाहर निकले और फाटक पर खड़े होकर बातें करने लगे। एक इसमें कोई शक नहीं कि हम लोगों का नसीब जाग गया। दूसरा-नसीब जागा तो हम नहीं कह सकते हॉ इतनी बात है कि रकम गहरी हाथ लगेगी। तीसरा-मुंहमांगा इनाम क्या हम लोग नहीं पा सकते? दूसरा-नहीं। तीसरा-सो क्या? दूसरा-हम लोग कामिनी को अगर पकड ले जाते तो मुंहमांगा इनाम पाते सो तो हुआ नहीं कामिनी कोठरी के अदर घुस बैठी आर हम लोग दवाजा खोल कर उसे निकाल न सके लाचार बाबाजी को बुलाना पड़ा ऐसी अवस्था में जो कुछ इनाम मिल जाय वही बहुत है। पहिला-इतना तो कहला भेजा कि हम लोगों ने कामिनी को इस तहखाने में फंसा रक्खा है। दूसरा-खैर जो होगा देखा जायगा इस समय तो हम लोगों की जीत ही जीत है कामिनी और किशोरी दोनों ही को हमारे मालिक की किस्मत न इस तहपाने में कैद कर रक्खा है। तीसरा-(चोक कर ) जरा इधर तो देखो य लोग कौन है मालूम होता है कि इन लोगों ने हमारी बातें सुन ली। खण्डहर क बाहर बाएं तरफ कुछ हट कर एक नीम का पड़ था और उस पेड़ के नीचे एक कुआ था। इस समय दो देवकीनन्दन खत्री समग्र