पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३३४

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६ करा के मकान में ले आई तथा तालाब में आन का रासा उसी रीति से जैस कि हम ऊपर लिर। चुकर बन्द कर दिया। इस समय यहाँ कई लौडिया भी मौजूद थीं उन्होंन कमलिनी को इशार स उत्त के ऊपर राराका बन्दोबस्त कर दिया और सब कोई छत के ऊपर चल गए 1 कुमार के पास ही कमलिनी गालीच पर बैठ गई और दोनों आदमी भी गहरी सामने रखकर बैठ गय! इस छत की जमीन चिकन पत्थर की बहुत साफ और सुथरी बनी थी मगर नजाकत की तरफ ख्याल न किया जाय ता पार्श या पिछावन विछा कर 41 पैठन की कोई जरूरत नही। कम-कुमार दखिए इन दोनों आदमियों को मन मावी को गिरपतार कर का भेजा था मालूम होता है कि य लाग अपना काम पूरा कर आए है और इस गठरी में शायद माधवी को ही लाए है। (दानों आदमियों की तरफ देखकर क्यों जी माधवी ही है या किसी दूसर को लाए हा? एक-जी माधवी को ही लाए है। कम गठरी खोलो जरा इसकी सूरत दयूँ । उन दोनों ने गठरी खोली ग्रामलिगी और कुमार ने बड़ चाय समाधी की सूर देखी परन्तु यकायक कमलिनी चौकी और बोली क्या यह जमी?? एक-जी हाँ मुझे उम्मीद नहीं कि इसकी जान बचमी क्योंकि पाट भारी साई। कुमार-इसे किसन जख्मी किया है। एक-किसी औरत ने क तिलिस्मी सहखान सपाट पधाई। कुमार-(कमलिनी की तरफ दया कर ) क्या राहतासगढ़ में कोई तिलिस्मी तहानानी है? कम-जी हो पर उसका भेद बहुत आदमियों को मालूम नहीं। बल्कि जहा तक समझती वा का राजा दिग्विजयसिह भी पूरा पूरा हाल न जानता हागा वहाँ का मामला भी यजा विचित्र है किती समय मै आपस उसका हाल कहूँगी। एक-मगर अब उस तहखाने की रगत बदल गई। कम-सो क्या? एक--(कुमार की तरफ इशारा करके) आपके ऐयारों ने उसमे अपना दरल कर लिया बल्कि एसा काहना चाहिए कि रोहतासगढ ही ले लिया। कम-(कुमार की तरफ देख कर ) मुबारक हा चवर अछी आई है। कुमार-पेशक इस खबर ने मुझे सुश कर दिया ईश्वर करे तुम्हारी तारा भी जल्द आ जाय और किशोरी का कुछ हाल मालूम हो। (माधवी को गौर से देख और चौक कर ) यह क्या ? माधवी की दाहिनी कलाई दिवाई नहीं देती। कम-( हंस कर ) इसका हाल आपको नहीं मालूम ? कुमार-कुछ नहीं: कम-पूरा हाल तो मुझे भी नहीं मालूम मगर इतना सुना है कि कही गयाजी में इससे और इसक दीवान अग्निदत की लडकी कामिनी से लड़ाई हा गइ थी। उसी लड़ाई में यह अपनी दाहिनी कलाई खो बैठी। यह भी सुनने में आया है कि यह लडाई उसी मकान में हुई थी जिसमें आप लाग रते थे और इसमें कमला भी शामिल थी। कमलिनी की यह बात सुनकर कुमार को व ताज्जुब की बात याद आ गई जो बीमारी की हालत में गयाणी में महल के अन्दर एक लाश और एक औरत की कलाई पाई गई थी। कुमार-हाँ अब याद आया वह मामला भी बड़ा ही विचित्र हुआ था अभी तक उसका ठीक टीक पता न लगा। कम-क्या हुआ था जरा में भी सुनें? कुमार ने वह सब हाल कहा और जो कुछ देखने और सुन में आया था वह भी बताया। कम-कमला से मुलाकात हो ता कुछ और सुनन में आवे (दोआदमियों की तरफ देख कर ) पहिले माधवी को यहाँ से ले जाओ लौडियों के हवाले करो और कह दो इसे कैदया में रक्खे और हाशमे लाकर इसका इलाज करें इसके बाद आओ ता तुम्हारी जुबानी वहाँ का सब हाल सुने।शावाश तुम लोगों ने ऐशक अपना काम पूरा किया जिसस मैं बहुत ही खुश हूँ। बहुत अच्छा, कह कर दोनों आदमी माधवी को वहां से उठा कर नीचे ल गये और इधर कमलिनी और कुमार में बातचीत होने लगी। कम-(मुस्करा कर ) लीजिए आपकी मुराद पूरी हुआ चाहती है पहले पहिल यह खुशखबरी मरे हो सवप से आपको मिली है सब से भारी इनाम मुझी को मिलना चाहिए। देवकीनन्दन सत्री समग्र ३१०