पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/३३२

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कुमार-अच्छा तो उसने यह क्या लिखा है कि किशोरी का आशिक भी या मौजू. है। कम-यह कटाक्ष माधवी के दीवान अग्निवत पर है पाकिक हम लोग के हिसाब से वह किशारी पर आशिक है। सच्चा आशिक आपकी तरह नहीं है मगर ईमान ऐयाग की तरह पर जरूर शिकार। कुमार-नहीं नहीं उसे तो हमारे आदमियों ने गिरतार करके भुगार भेज दिया। कम-आपका यह खयाल गलत है। वह युगार ही पानमालूम उसने अपनी किस तरह जान चाली है। इसका हाल आपको लश्कर में जाने या किसी का धुनारगढ भजन से मालूम होगा। कुमार--तो क्या वह भी रोहतासगढ़ पर गया ? कम-पहुच ही गया तगीता तास ने लिए। कुमार-अच्छा तो ये लाली और कुन्दन कौन है? कम- आपकी और मरी दुश्मन इन दो की मामूली दुम 7 समझिए। सुमार-इसमें किशोरी के आशिक के यार में लिखा है कि उसे किया सब उम्मीद नो-सा) मतलब क्या है? कम--सो ठीक अनी मालूम नहीं हुआ। कुमार-यह जवाब तुभन द युटको का दिया। कम-(हस कर ) आप चितान कर किसरी तपन घ आपका समर्पण कर gh! le foसाहारे की । होगी। कुमार-सौर जय युलासा हाल मार(Retlert vil FT या जाय मु-fastra रिशारी। री पूरा धोया याया-सोक्या? कम-इसका हाल अभी ही मालूम हुआ। शायद, जाल में कोई दूसरी मीठो जगा तो मालूम होना बल्कि और भी जो कुछ लिया है शाराही भर असलया। सामनी सका। कुमार--अच्छी अब तुम्हारा पूरा हाल जानना mil और सीमामे होवाली लाली और कुन्दन का वृतान्त भी तुम्हारी जुबानी सुरा ARE ARE कम- सब हाल आपस पाहूगी और इसके अा एक एरोमेद को पर भी आको गी कि आपको जायगे गार इसके लिए आपका तीन गिर दिन और साहिए सीमेवारा भी सभासमढ़ से आ जार्यगी या में खुद उस घुलवा लूंगी ! कुमार-इन सब बातों का जानने के लिए मेवा हो रहा ३५, ५ utसुम् कहना हो करा. कम-नहीं नहीं आप जल्दी करें भरा दा चार दिन के लिए टाला भी आरक्षी के फायदे के लिए है। आप यह समझें कि मैं आपका जान बूझ कर यहाँ अटकाया चाहती! आप यदि मुझपर ससा र और मुझे अपना दुमान समझे तो यहाँ रहे। में लोडिगो की तरह आपकी तावेदारी पारने का प्यार है, और बाद मन पर एतयार न हो तो अप है लश्कर चले जाये चार पाच दिन के बाद मैं स्वय आपम मिलकर साल करगी। कुमार-शक में तुम्हारे बारे में तरह तरह की बात साधाया और तुम पर विश्वास कर । मुनासिब नहीं समझता था मगर अब तुम्हारी तरफ से मुझे किसी तरस का शुटका नही । तुम्हारी माता का नर दिल पर रा ही असर हुआ। इसमें कोई सन्देह नहीं कि तुम सियाय मलाइ के मेरे साथ दुराई कभी करोगी। मेजर या रगा और जब तक अपने दिल का शक अच्छी तरह मिटा लूंगा 1 जाऊंगा । कम-अहोभाग्य ! (स कर ) मगर ताज्जुब रही कि इसी बीच में आप एयार लोग या पहुंच कर मुझे गिरफ्तार कर लें। कुमार-क्या मजाल । तीसरा बयान कुमार कई दिनों तक कमलिनी के यहाँ मेहमान रहे जिसने बसी खातिरदारी और नेकनीयती के साथ इन्हे रक्या। इस मकान में कई लॉडिया भी थी जो दिलोजान से कुमार की खिदमत किया करती थी मार कभी कभी वे सब दो दा पहर के लिए न मालूम कहाँ चली जाया करती थीं। देवकीनन्दन खत्री समग्र ३००