पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/२२१

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J4 पास पहुंचा ता घोडा रोक कर खड़ा हो गया। मालूम होता है कि ये चारों रण्डियाँ उस आदमी को चखूबी जानती और पहिचानती थी क्योंकि उसे देखते ही वे चारों हँस पड़ी और एक छचीली जो सबसे कमसिन और हसीन थी ढिठाई के साथ उसके घाडे की बाग पकडकर खड़ी हो गई और बोली वाह वाह तुम भागे कहा जा रहे हो ? बिना तुम्हार मोती मोती का नाम लिया ही था कि सवार ने हाथ के इशार से उसे रोका और कहा बॉदी तुम्हें हम बेवकूफ कहें या भोली? इसके यद उस सवार ने सफरदाओं पर निगाह डाली और हुकूमत के तौर पर कहा तुम लोग आगे बढो । अवता पाठक लीग समझ ही गए होंगे कि उस छवीली रण्डी का नाम बॉदी था जिसने दिठाई के साथ सवार के घोड की लगाम थाम ली थी और जो चारों रडियों में हसीन और खूबसूरत थी। इसकी कोई आवश्यकता नहीं कि बाकी तीन रडियों का नाम भी इसी समय बता दिया जाय हॉउस सवार की सूरत शक्ल का हाल लिख देना बहुत जरूरी है। मवार की अवस्था लगभग चालीस वर्ष की हागी। रग काला हाथ-पैर मजबूत और कसरती जान पड़ते था बाल स्याह छाट मगर घूघरवाल थे सर बहुत बड़ा और बनिस्बत आर्ग के पीछे की तरफ से बहुत चौडा था। भौहें घनी और दाना मिली हुई ऑखें घाटी-छोटी और भीतर की तरफ कुछ धुसी हुई थीं। होठ मोटे और दांतों की पक्ति बराबर न थी मूछ के बाल घने और ऊपर की तरफ चढ हुए थे। आँखों में ऐसी बुरी चमक थी जिस देखन स डर मालूम होता था और बुद्धिमान दखने वाला समझ सकता था कि यह आदी यडा ही बदमाश और खोटा है मगर साथ ही इसक दिलावर और खुंखार भी है। जब मफरदा आग की तरफ बढ़ गये ता सवार न बॉदी से हेंस के कहा तुम्हारी होशियारी जैसी इस समय देखी गई अगर ऐभी ही बनी रही ता सब काम चौपट करोगी। याँदी-(शमाकर ) नहीं नहीं में काई ऐसा शब्द मुँह से न निकालती जिससे सफरदा लाग कुछ समझ जाते । सवार -- वाह मोती का शब्द मुंह से निकल ही चुका था। बॉदी-ठीक है मगर सवार -खैर जो हुआ सो हुआ अब वहुत सम्हाल के काम करना। अब वह जगह दूर नहीं है जहाँ तुम्हें जाना है। (मडक के बाई तरफ उगली का इसारा करके ) देखा वह बडा मकान दिखाई दे रहा है। चाँदी - टीक है मगर यह तो कहो कि तुम भागे कहाँ जा रहे हो? सदार मुझ अभी बहुत काम करना है माक पर तुम्हार पास पँहुच जाऊगा हॉ एक बात कान में सुन लो। सवार न झुक कर बॉदी के कान में कुछ कहा साथ ही इसक दिल खुश करने वाली एक आवाज भी आई बॉदीन एक नर्म चपत सवार के गाल पर जमाई सवार ने फुर्ती स घोड को किनारे कर लिया तथा फिर दौडता हुआ जिधर जा रहा था उधर ही का चला गया। दूसरा बयान अब हम अपने पाठकों को एक गाँव में ले चलते हैं। यद्यपि यहाँ की आबादी बहुत घनी और लम्बी-चौडी नहीं है तथापि जितने आदमी इस माजे में रहते है सब प्रसन्न है। विशेष करके आज सभी खुश मालूम हैं। क्योंकि इस भौजक जिमींदार कल्याणसिह के लडक हरनन्दनसिह की शादी होने वाली है। जिमींदार के दरवाजे पर बाजे बज रहे है और महफिल का सामान हो रहा है। जिमींदार का मकान बहुत बडा और पक्का है जनाना खण्ड अलग और मर्दाना मकान जिसमे सुन्दर-सुन्दर कइ कमरें और काठरियों है अलग है। मर्दाना मकान के आग मेदान है जिसमें शामियाना खडा है और महफिल का सामान दुरुस्त हो रहा है ! मकान के दाहिनी तरफ एक लम्बी लाइन खपडैल की है जिसमें कई दालान और कोठरियाँ हैं। एक दालान और तीन काटरियों में भण्डार (खाने की चीजों) का सामान है और एक दालान तथा तीन काटरियों में उन रडियों का डेरा पड़ा हुआ है जो इस महफिल में नाचने के लिए आई है और नाचने का समय निकट आ जान के कारण अपन का हर तरह से सजधज कदुरुस्त कर रही है। इसमें कोई सन्देह नहीं कि ये रडियाँ बहुत ही खूबसूरत और हसीन है और जिस समय अपना श्रृंगार करके धीरे-धीरे चलकर महफिल में आ खडी होंगी उस समय नखरे के साथ अधखुली आखों से जिधर देखेंगी उधर ही चौपट करेंगी पर फिर भी यह सब कुछ चाहे जो हा, मगर इनका जादू उन्ही लागों पर चलेगा जा दिल के कच्चे और भोले भाले है। जो लोग दिल के मजबूत और इनकी करतूतों तथा नकली मुहब्बत को जानने वाले और बनावटी नखरों का हाल अच्छी तरह जानते हैं उन बुद्धिमानों के दिल पर इनका असर होने वाला नहीं है क्योंकि ऐस आदमी जितनी ज्यादे खूबसूरत रण्डी को देखेंगे उसे उतनी ही बडी चुडैल समझ के हर तरह से पच रहने का भी उद्योग करेंग। रात लगभग पहर भर के जा चुकी है। महफिल बारातियों और तमाशबीनों से खचाखच भरी हुई है। जिमींदार का लडका हरनन्दनसिह, जिसकी शादी होने वाली है, कारचोची काम को मखमली गददी के ऊपर गावतकिये के सहारे बैठा काजर की कोठडी १२२३