पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/१७७

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axi दानाय सकलजा थान हाय हाय करके बैठ गय और असून सदमा आदमी न पिरयन्टाकर कहा- 'अप लाग माहिना की बात सुन कर निराश नही दिल ग...... और उसकी सीताराको पतकी क यहा रहन का असर मिला याबदाउनाटेल उसन उपना रतिरता हाउ इनसह दिया काानकी की सीकीपनारमामा " ! साधने एक विधि एतजहर के बनाने की बात बता दी है कि जिस सन में दर्ग:4571 दाउसहर के असर कादूर नहीं कर सकती थी मगर सायही उस पर आदमी का जिसे जहर दिया गया हा आराम करने की जरूरत पी जाय गए.7 at: उत्तर है कि इस उल्टा तकौन से लाग हिचकेगे मगर उन जहर का दूर कर दिया.sinha तकीयदा नहीं है। मुझे यह हाल खास र-भा की चुदाणी हीगलमा माहिती कर." वसूया जानती हागो ओर इरनवशक वही जहर नरन्दसिह काविलय होगा। आप ५५५ र १६: खिलाए। इसमें कोई शक नहीं कि य आराम हा जायगे। जब इनकीया कुछर आदेगी। राम16- आप लागों से कहूँगा जिफ मारने म माहिनी ना पाया। इतना सुना ही माहिनी का रंग उड गया ! चहर पर मुदनी धा गई उस कर 1. "हाय । अब नरन्दसिंह के मरन की उम्मीद नही । अब मुझे अपने का गम गा! उसकी इस बात के सुननस लागा का बहुत कुछ उम्मीद हो गई। महाराज का आरती मर७५ है। जाता ही है !अब इस वचार नकद के कह मुताधिक सरिया दिलाने में में किरग तरह का हाहा समोर नरन्द्रतिहम बालने की ताकत थी मगर आये दद दिय प-पड़ सब कुछ सुनाई। हुक्म की देर थी। सखिया लाकर नरेन्द्रसिह का चिलाया गया। उसन तो अक्सौर दवा का काम किया। पेट में ते को नरेन्दसिह की आँखें खुल गई और नन्ज भी उमड आई। उन्होंने घूमकर उस आदमी की तरफ देखा और भाक्षशि उसके मुह से अमरम्मा का हाल सुने जितका उसने वादा किया था नगर पाप के लिहाज से पुलकर कुछ पूछ न सके। महाराज जिनकी निगाह परावर नरेन्दसिह के चेहरे पर पड़ रही थी इस नाव को समझ गए और उस आदमी की तरफ देच कर बोले- तुमन मुझ पर जा अहसार किया रसफा बदला में किसी तरह नहीं चुका सकता अपना राय अपना घर और अपने लड़को का भी तुम्हारी नजर करन पर सन्तुष्ट नहीं हा स्पाता क्योंकि तुम्हारा एहसान इससे ना मान्यता उम्मीद है कि रम्मा का हाल भी कह कर तुम रहे सह तरदुद का भी दूर कराग। इसके जवाब में उस आदमी न एक द अपना सर झुपलया और तब इस तर माग शुर-न्या- नरन्दसिह जब कतकी के यहा गय थ ता उस माहिनी माघार भुलाब में पड़ गय क्योकि दानाutari सूरत शक्ल एक ही सी थी। जब हाजीपुर राज-महल म माहिनी पहुंची और रम्भा की निगार उस पर 44 पूरा पहिचान गई.किचह कतकी की बहिन है। इसके बाद मोहिनी न जा कुछ यहाँ किया उत्तifl RT 1 उस..दु.. का और भी पूरा-पूरा सबूत मिल गया। जव माहिनी का डरा रम्मा के बगल बाजार में पड़ा तो contatite उतन साया कि यह जरूर फाईन काई उत्पान करगी। रम्मका घर ने दा घरमाइयो एक परमार दूसरी पर एक दूसरी औरत जो असल में रम्भा को निगहबानी पर जागी साती शीगन में नया निगहबान औरत सा गई ता रम्नान अपनी चारपाइधर से उअपार एक जानने वाली कर मोरया..! उस चारपाईक नीधे जा पड़ी जिस पर उसकी निगहबान औरत सा रहती थी। नई पास... थारमा क; आखों में नीदनपी और दह बराबर आगता रहा। उस आदमी ने यहाँ तक कहा था कि मोहिनी चिल्लाई और बोली हाय हाय बसक धाया दूसरा हो औरत कत्ल की गई और हरामजादी रम्मा चारपाई कनीय छिपकर यम!अफमार मरो दिलमाया। मिट्टी हो गई और जीते जी मुझे अपने कमा का पाल मोगा ! इसके जवार म उस आदमी न माना की तरफ मुहार का' an act......" महल से निकल भागी लिस्क लिय वा रारहमा मन iranjitik पहन पा रह गया है मगर उसने इतने आदनिया ५. सम-ent '........ ५. दुरिह और मोहिनी का छाड कर और समौका यहा दर ले ।

यह सुन मगराजन समाकीर दखा। इसस पर होगकर... सदर लिया। सपना दानुसार निगलाकर उसमीन :- नरेन्द्र माहिनी ११७९