पृष्ठ:देवकीनंदन समग्र.pdf/११७

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इतना सुनते ही वह उठ कर बैठ गई और इधर उधर देख कर फिर बोली- "वहिन, क्या हम लोग ऐसी जगह आ फंसे है कि सिवाय मागने के और कुछ भी नहीं कर सकते? अगर ऐसा होतो मैं नागने को तैयार हूँ मगर कम से कम इतना तो बता दो कि यह नौजवान जो तुम्हारे पास बैठा है कौन है और मेरी बगल में गडहा कैसा है जिसमें सन्दूक सा दिखाई पड़ता है ? औरत - मैं आप ही नहीं जानती कि यह यहादुर जिसने हम लोगों की जान बचाई कौन है, हाँ इस गड़हे और इस सन्दूक का हाल जानती हूँ मगर इस समय सिवाय मागने के मुझे कुछ नहीं सूझता। अगर तुम्हारे में भागने की ताकत न हो तो बोलो उठाकर तुम्हारे यहाँसे निकाल ले जाने की फिक्र की जाय । दूसरी औरत - नहीं नहीं, अब मैं बखूबी तुम लोगों के साथ चल सकती हूँ, लो चलो मैं तैयार हूँ। यह कह कर वह उठ खडी हुई और चलने को तैयार हो गई। दूसरा बयान तीनों उस जगह से धीरेधीरे रवाना हुए। उस नौजवान औरत ने जो पेड पर से उतारी गई थी कहा, 'मुझे आगे चलने दो क्योंकि मैं बहुत जल्द यहॉ से निकल चलने का रास्ता जानती हूँ, और तुम दोनों चुपचाप मेरे पीछे पीछे आओ। नौजवान औरत आग हुई और सीर्घ पश्चिम की तरफ चल निकली, ये दोनों भी चुपगप उसके पीछे पीछे जाने लगे। लगभग घड़ी भर के चलने के बाद ये तीनों एक नदी के किनारे पहुंचे जिसका पाट चौडान था मगर इतना कम भी न था कि किसी का फेंका हुआ पत्थर या डेला उस पार पहुच सकता। छोटी छोटी दो खूबसूरत किश्तियाँ किनारे पर खूटे से बंधी हुई दिखाई पड़ीं जिन पर खेने के लिए हलके हलके डाड़े भी पड़े थे। वह नाजुक औरत उसी जगह खडी हो गई और अपने पीछे आने वाले दोनों से बोली, 'जल्दी इनमें से किसी एक किश्ती पर सवार हो लो देर मत करो। यह सुन नौजवान ने कहा, पहिले तुम दोनों सवार हो लो फिर मैं सवार हो जाऊगा। यह कह अपने हाथ का सहारा दे दोनों औरतों को किश्ती पर सवार कराया मगर जब खुद चढने लगा तब उस नाजुक औरत ने रोका और कहा पहिले उस दूसरी किश्ती को किनारे से खोल कर इस किरती के साथ बॉघ लो तब तुम सवार हो क्योंकि उस किश्ती को भी मैं अपने साथ लेती चलूंगी। नौजवान-दूसरी किश्ती को इसके साथ वाध कर ले चलना येफायदे है और हमारी किश्ती उसके साथ वधने से उतनी तेज न चल सकेगी जितनी अकेली। औरत-नहीं जो मैं कहती हूँ उसे करो इसका सवय तुम्हें मालूम नहीं। बस अब देर करने में हर्ज होगा। जल्दी उस किश्ती को भी इसके साथ बाघ कर तुम सवार हो जाओ। नौजवान ने यह सोचकर कि शायद इसमें कोई भेद हो उस दूसरी किश्ती को किनारे से खोल कर अपनी किश्ती के साथ बाधा और खुद सवार होकर किश्ती किनारे से हटाने के बाद डाड लेकर खेने लगा। औरत - अब मेरा जी ठिकाने हुआ और जान बचने की उम्मीद हुई। यह सब आप ही की बदौलत हैं। अब आप इस तरफ आकर बैठिए मै किश्ती खेकर ले चलती हूँ। नौजवान-वाह में बैतू और तुम किश्ती खेंओ यहभी खूब कही बस तुम दोनों चुपचाप बैठी रहो देखो मैं कितनी तेज इस ले चलता हूँ। तुम लोगों के तो अभी तक होश भी ठिकाने नहीं हुए होंगे। हा यह तो बताओ कि अभी तक तो मुझसे तुम कह कर पुकारती रही मगर जय से किश्ती पर सवार हुई हो आप कह के पुकारने लगी। इसका क्या सबब है ? तुम्हारी बातचीत से साफ मालूम होता है कि तुम पढी लिखी हो। अगर ऐसा न होता तो मैं इस बात का ख्याल न करता और कभी तुमसे यह सवाल भी न करता। उन दोनों औरतों ने इसका जवाब कुछ न दिया बल्कि मुस्करा कर सिर नीचा कर लिया। नौजवान - भला किसी तरह तुम दोनों के चेहरेपर हँसी तो दिखाई दी। औरत - हम लोग काफी दूर निकल आये है ।अब अगर यह किश्ती जो हमारी किश्ती के साथ बँधी हुई चली आ रही है डुबा दी जाय तो हम लोग पूरे तौर पर निश्चिन्त हो जाय। नौजवान – इस दूसरी किश्ती को अपने साथ लाने का सबब अब मैं बखूबी समझ गया जहा तक हो सके इसे जल्द ही डुबो देना चाहिए और सो भी ऐसी तीब से कि हमारी किश्ती को कोई नुक्सान न पहुचे। यह जान कर नौजवान ने डाडखेना बन्द कर दिया और अपनी किश्ती से उतर कर उस किश्ती पर आ गया जो पीछे ईंधी हुई थी। इसने अपनी कमर से खजर निकाल एक हाथ जार से उसकी पेंदी में मारा जिससे सूराख होकर उसमें पानी आने लगा, इसके बाद नौजवान ने अपनी किश्ती में आकर उसे खोल दिया और धीरे से खेकर अपनी किश्ती कुछ आगे बढा ले गया। देखते देखते उस दूसरी किश्ती में जल भर आया और वह डूब गई। अब नौजवान ने अपनी किश्ती खूय तेजी से आगे बढ़ाई। नरेन्द्र मोहिनी १११९