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दृश्य-दर्शन

मछलियां उसमें खेला करती हैं। इस तालाब का पानी एक दूसरे तालब में गिरता है। यह तालाब पहले की अपेक्षा छोटा है। इसका भी पानी एक छोटी सी नहर में गिरता है । यद्यपि इसका नाम पनचक्की है और यह एक प्रपात है, तथापि इसमें भी बाबा शाह मुसाफिर चिश्ती की कब है। ये औरंगजेब के धर्मोपदेशक थे। पहले तालाब और बाग के आगे एक और तालाब है । यह पहले से भी बड़ा है। इसमें यह विलक्षणता है कि यह धरातल पर नहीं, किन्तु आकाश में लटका हुआ है । अत्यन्त दृढ़ और प्रकण्ड खम्भों के ऊपर धन्वाकार मेहराबों पर पक्का जलगृह बना हुआ है; उसीमें अनन्त सलिल-समूह भरा है !

औरंगाबाद के पास एक पहाड़ी है, वह कोई ५०० फुट ऊंची है। २५० फुट की उंचाई पर उसमें यलोरा की जैसी ५ गुफायें हैं । परन्तु ये वैसी अच्छी और वैसी प्रसिद्ध नहीं जैसी यलोरा की गुफायें हैं। इनमें से दूसरे नम्बर की गुफा बौद्धों का चैत्य है; और तीसरे तथा चौथे नम्बर की गुफ़ायें विहार हैं । इनमें बुध,पद्मपाणि और वज्रपाणि आदि बोधि-सत्वों की अनेक मूर्तियां हैं। बुध की एक प्रतिमा ८१२ फुट ऊंची है !

औरंगाबाद से दौलताबाद ८ मील है। वहां पर भी रेलवे स्टेशन है। उसका प्राचीन नाम देवगिरि है। वहां का किला समुद्र के धरातल से ५०० फुट ऊंची चद्वान पर बना हुआ है। वह तेरहवें शतक में बना था। किले की चारों ओर ऊंची दीवार है, उसमें निशान लगाने के लिये छेद हैं,और तोपें रखने के लिए यथा-स्थान बुर्ज बने हुए हैं।