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दृश्य-दर्शन


औरङ्गजेब के समय के बने हुए शाही महल, मसजिदें और मकानात, इस नगर में, सैकड़ों वर्ष बेमरम्मत पड़े रहने के कारण बहुत कुछ उज़ाड़ हो गये थे, यहां तक कि उनके आस पास प्रचण्ड जङ्गल हो गया था और भालू, भेड़िये और गीदड़ोंने उनको अपना घर बना लिया था। कुछ समय हुआ, सर सालारजङ्ग ने इस जङ्गल को कटाकर शाही इमारतों को साफ़ करा दिया। साफ़ कराने पर उसमें अनेक जलाशय, फौवारे और महल निकले। उनमें से प्रसिद्ध प्रसिद्ध स्थानों की मरम्मत भी करा दी गई। तब से जो लोग यलोरा की गुफायें देखने जाते हैं वे इसे भी अवश्य देखते हैं; क्योंकि वहां से यह सिर्फ ८ मील है। इस समय, इस नगर में, औरङ्गज़ेब के क़िले का केवल एक ही फाटक शेष रह गया है; परन्तु यह उस किले का द्वार है जिसके भीतर बादशाही दरबार में हिन्दुस्तान के ५० से भी अधिक राजे महाराजे हाज़िर रहते थे। औरङ्गजेब के जीवनकाल में औरङ्गगाबाद ने अपूर्व वैभव का उपभोग किया; परन्तु उसके मरते ही उसके उत्तराधिकारियों ने उसका एकबारगी ही परित्याग कर दिया। अतएव उसका अल्पकालिक वैभव सहसा नष्टप्राय हो गया। औरङ्गाबाद में जो क़िला था उसका नाम "किला एराक" था। उसके भीतर औरङ्गज़ेब की जामै मसजिद अभी तक विद्यमान है। उसको लोग आलमगीरी मसजिद भी कहते हैं। उसको मलिक अम्बर ने आरम्भ किया; परन्तु वह उसे पूरा नहीं कर सका। औरंगज़ेब ने उसकी समाप्ति की। यह मसजिद यद्यपि छोटी है तथापि बहुत ही सुन्दर बनी हुई है और अबतक अच्छी दशा में है। इसके दरवाज़े पर जो काम है वह बड़ा ही मन-