सब उजाड़ इमारतों का क्षेत्रफल ४५ वर्गमील के लगभग है। वहां पर पृथक् पृथक् राजों ने सात नगर बसाये थे। देहली की उजाड़ इमारतें और उनके बचे हुए चिन्ह उन सात प्राचीन नगरों की साक्षी देते हैं। इन सातों में से एक नगर लालकोट था, जिसे राजा अनङ्गपाल ने, १०५२ ईसवी में, बसाया था। दूसरा नगर वह है जहाँ पृथ्वीराज का खंडहर किला इस समय दिखाई देता है। उसे पृथ्वाराज ने, ११८० ईसवी के लगभग, बसाया था। शेष पांच नगरों में एक सीरी के पास रहा होगा; उसे अलाउद्दीन ने १३०४ ई° में बसाया था। दूसरा १३२१ ईसवी में तुग़लक शाह का बसाया हुआ तुगलकाबाद है। तीसरा १३२५ ईसवी में मुहम्मद तुग़लक का बसाया हुआ आदिलाबाद है। दो और नगर भी इसी मुहम्मद तुगलक बादशाह ने बसाये थे। १६११ ईसवी में फिञ्च साहब आगरे से देहली गये थे। वे लिखते हैं कि उन्होंने उस समय प्राचीन देहली के अवशेष भाग को देखा था। उन छिन्न भिन्न हुए मकानों और किलों को "सात किला और बावन फाटक" के नाम से लोगों को कहते हुए उन्होंने सुना था। कई विद्वान्, जिन्होंने इस बात की खोज की है, अनुमान करते हैं कि युधिष्ठिर का इन्द्रप्रस्थ कहीं उस जगह रहा होगा जिसे पुराना किला कहते हैं। ११९१ ईसवी में मुसलमानों ने हिन्दुओं को निकाल कर जब देहली अपने अधिकार में कर ली तब उन्होंने प्राचीन नगर को बिलकुल ही छिन्न भिन्न कर दिया। इसीलिए अब उसके बहुत ही कम चिन्ह पाये जाते हैं।
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देहली