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दृश्य-दर्शन

टोला है। इसपर एक अठकोनी मण्डपी या मढ़ी है। उसके एक दरवाजे पर फ़ारसी में एक लेख खुदा हुआ है। उसमें लिखा है कि हुमायं बादशाह एक बार इस टीले पर चढ़ा था। उसी की यादगार में यह मण्डपी बनाई गई है। कनिंगहम साहब की राय में यहींपर वह स्तुप रहा होगा जिसकी उँचाई होएनसंग ने ३०० फुट बतलाई है।

सारनाथ के टीलों को खोदने पर जो चीजें पुराने जमाने की मिली हैं वे साबित करती हैं कि किसी समय यहां पर बौद्धों का बहुत बड़ा संघाराम था। दसवीं या ग्यारहवीं शताब्दी में,जब बौद्ध यहां से निकाले गये,इन इमारतों में आग लगा दी गई थी। स्वाक, बाल,हड्डियां,छिपाई हुई मूर्तियां,खाने की चीजें,गड़े हुए बर्तन ,इत्यादि जो यहां पर निकले हैं वे सिद्ध करते हैं कि अक्क- स्मात् आग नहीं लगी;किन्तु किसी ने जान-बूझ कर सारनाथ की बस्ती को अच्छी तरह जलाया था!

सारनाथ एक बहुत ही प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान बनारस में है। गवर्नमेंट ने वहांपर एक जगह बनवा कर, जो जो चीजें वहां जमीन से निकली हैं, सब रखवा दी हैं। पहले यहांकी बहुत सी ऐतिहासिक चीज़े कीन्स-कालेज के हाते में रक्खी थीं। शायद वे भी सब अब यहीं आ गई हैं। इससे दर्शक उन्हें यहीं देख सकते हैं। अभी, कुछ दिन हुए , वहां और भी बहुत सी चीज़े ज़मीन से निकली हैं। स्तूपों की मरम्मत करने, उनको रक्षित रखने और नई नई जगहों पर खोद कर पुरानी चीज़ों को ढूंढ़ने का प्रबन्ध