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दृश्य-दर्शन

जाता है;परन्तु यह कविता इतनी अच्छी है कि हम इसके दो एक उदाहरण दिये बिना नहीं रह सकते। महीपाल का साम्य विष्णु में देखिये-

लक्ष्मीपतिस्त्वमसि पङ्कजचक्र चिन्हं
पाणिद्वयं वहसि भूप भुवं बिभर्षि ।
श्यामं वपुः प्रथयसि स्थिति हेतुरेक-
स्त्वंकोऽसि नोतिविजितोद्धव माधवस्य । ३६

आप लक्ष्मीपति अर्थात् सम्पत्तिमान हैं;आपके करद्वय में कमल और चक्र के चिन्ह हैं:आप पृथ्वी को धारण (पालन) करते हैं; आपका शरीर श्यामल है;आप ही की स्थिति से सब (प्रजा) की स्थिति है;नीति में आपने उद्धव को भी जीत लिया है। अत- एव, कहिए, आप विष्णु के कौन हैं ? क्योंकि वे भी लक्ष्मीपति हैं;उनके भी हाथों में कमल और चक्र हैं;उन्होंने भी (वराह होकर )पृथ्वी को धारण किया है;उनका भी शरीर श्यामल है;पालन- कर्ता होने के कारण वे भी सबकी स्थिति के हेतु हैं;और उन्होंने भी उद्धव को नीति में परास्त किया है।

अब कमल की समता देखिये-

सद्भ श्रियस्त्वमसि मित्र कृत प्रमोद-
 
स्त्वं राजहंससमलं कृतपादमूलः।
स्वामिन्नधः कृतजड़ोऽसि गुणाभिरामः
 
कस्त्वं स्मितात्यमुखपङ्कज पङ्कजस्य ॥१५॥

अखिले कमल के समान मुसकान-युक्त मुख-कमल को धारण