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दृश्य-दर्शन



ग्वालियर में सिन्धे-शाखा के मराठों के बंशज बहुत दिनों से राज्य कर रहे हैं। विदेशी होने के कारण अंगरेजी राज्य के अधिकारी यहाँ के नामों की बड़ी दुर्दशा करते हैं। जिन्होंने लखनऊ का लकनौ; देहली का डेलही; कानपुर का कानपोर कर डाला उन्हीं ने सिन्धे का सेन्धिया भी कर दिया। पूना के पेशवा बालाजी के खिदमतगार रानोजी वर्तमान वंश के नरेशों में पहले नरेश हुए। रानोजी के पुत्र महादजी सेन्धिया ने बड़ा नाम पैदा किया। वीरता में वे अद्वितीय थे। उन्होंने ग्वालियर-राज्य के विस्तार को बहुत बढ़ाया और अनेक लड़ाइयों में विजय पाया। ग्वालियर के वर्तमान नरेश महाराजा माधवराव सेन्धिया हैं। आप विलायत हो आये हैं; पाश्चात्य सभ्यता में ख़ूब दीक्षित हैं; अंगरेज़ी भाषा के पारगामी हैं; और इस इस समय की राजनीति में विशेष कुशल हैं। आपके पिता का नाम महाराजा जयाजी राव सेन्धिया था। उनका आकार बहुत भव्य था। पढ़ने लिखने में उनकी रुचि कम थी; पर फ़ौजी कामों में उनका दिल ख़ूब लगता था। इनके मरने पर ख़जाने में साढ़े ५ करोड़ रुपया नक़द निकला था।

किसी किसी का मत है कि ईसा के ३१० वर्ष पहले ग्वालियर की नीव पड़ी थी। परन्तु विलफर्ड साहब और जनरल कनिङ्गहाम को पता लगा है कि २७५ ईसवी में उसका निर्माण हुआ था। जिस समय गुप्तवंशी राजों का प्रभुत्व था उस समय उनका एक करद राजा तोरा मन (सूर्यमणि?) नामक था। वह वर्तमान गुप्त-नरेश से बाग़ी हो गया और यमुना-नर्म्मदा के बीच के देश में उसने अलग ही अपनी