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नेपाल

दक्षिणी हिस्सा सिर्फ ४,००० फुट तक। पहाड़ी ज़मीन, जिसमें थोड़ी बहुत खेती होती है, साल के जङ्गल और तराई इसी दक्षिणी हिस्से में शामिल हैं। बीच का हिस्सा मैदान से ४,००० फुट से लेकर १०,फुट तक ऊँचा है। हर हज़ार फुट की ऊँचाई पर कोई तीन अंश सरदी अधिक बढ़ती है। पर पश्चिम की तरफ का देश कम सर्द है। वहाँ पानी भी कम बरसता है ; क्योंकि बादल ऊँचे ऊँचे पहाड़ों को पार नहीं कर सकते ; इसी तरफ़ रह जाते हैं।

खास नेपाल अर्थात् वह भाग जो पहाड़ों के बीच, दरी के रूप में है, बहुत तर है। इसी भाग में काठमण्डू है। वहां की ज़मीन अत्यन्त उर्वरा है। वहाँ धान खूब होता है। जो ज़मीन कुछ ऊंची है उसमें गेहूं होता है। पहाड़ों के पास की जमीन सब से अच्छी है। वहाँ धान भी होता है और गेंहू भी। कहीं कहीं एक साल में दो दो तीन तीन फसलें होती हैं।

नेपाल में अक्तूबर से मार्च तक सर्दी रहती है और जनवरी-फरवरी में सख्त जाड़ा पड़ता है। अप्रैल से सितम्बर तक की आबोहवा तर रहती है ; गरमी अधिक नहीं पड़ती। मार्चसे मई और सितम्बर से दिसम्बर तक का मौसम बहुत अच्छा होता है। जून, जुलाई और अगस्त में वर्षा होती है;

नेपाल में कई जाति के आदमी बसते हैं। उनमें से भोटिया,मगर, गुरुंग, नेवार, किराती, लेपचा और लिम्बू मुख्य हैं । भूटान की तरफ बहुत ऊँची जगहों में भोटिया लोग रहते हैं। वे तिब्बत की भाषा