गोलघर इत्यादि हैं। तीसरे खण्ड में पुस्तकालय, नाचघर इत्यादि हैं। सब कमरे और दीवान-खाने खूब लम्बे, चौड़े और सजे हुए हैं। उनमें जो सामान हैं, सब खूबसूरत और वेश-कीमती है।
यहां के पुस्तकालय में हाथ से लिखी हुई फ़ारसी और अरबी की अनेक उत्तमोत्तम जौर अप्राप्य पुस्तके हैं। यहां की जैसी बहुमूल्य कुरान की पुस्तकें हिन्दुस्तान में और कहीं नहीं। कलकत्ते में लार्ड कर्जन की कृपा से, महारानी विक्टोरिया की यादगार में, जो इमारत बन रही है,उसमें रखने के लिए यहां से कई अलभ्य पुस्तकें भेजी गई हैं। इस पुस्तकालय को दो चार पुस्तकों के नाम हम नीचे देते हैं-
१-कुरान आलम गीरी और औरङ्गजेब की पुस्तक ६६५ हिजरी में याकूत सुस्तसिमी की लिखी हुई। यह बहुत प्रसिद्ध लेखक हुआ है। इस कुरान में औरङ्गजेब की मुहर है। उसमें लिखा है-“अल मुज़- फ्फर मुही उद्दीन औरङ्गजेब बहादुर आलम गीर बादशाह गाज़ी, १०७६ हिजरी।"
२-सिर्फ १६ पृष्ठों पर लिखी हुई कुरान की पुस्तक ।
३-कुरान की पुस्तक । बहुत ही छोटे साँचे की सिर्फ २ इञ्च लम्बी, २ इञ्ज चौड़ी!
४-अवध के नब्याव वज़ीर नसीरुद्दीन हैदर के लिए लिखी गई (२४ इञ्च ४१२ इञ्च ) कुरान की पुस्तक । दाम ३०,००० रुपए।
५–अली के हाथ को लिखी हुई कुरान की पुस्तक। अरब से एक लाख रुपये में खरीद कर लाई गई !
६–अनवार-सुहेलो। ६४० हिजरी में मुहम्मद यूसुफ़ समर-