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मुरशिदाबाद

जिस समय मुरशिदाबाद बङ्गाल, बिहार और उड़ीसा की राजधानी था उस समय उसका जो गौरव और विभव था उसका इस समय प्रायः समूल ही नाश हो गया है । उसके बड़े बड़े महल गिरकर ज़मीन के बराबर हो गये हैं;उसके अनेक मशहूर मशहूर महल्लों की जगह, जडल खड़ा हुआ है;उसके अनेक नव्वाब,नाज़िम, दीवान,नायब दीवान,सिपहसलार और फौजदार सफेद चद्दरों में लिपटे हुए करबला की मिट्टी के साथ गहरी कब्रो के भीतर, इन्साफ के आखिरी दिन का रास्ता देख रहे हैं। जहां किसी समय सात सौ मसजिदों से अजां की आवाज़ सुन पड़ती थी वहां इस समय सत्तर मसजिदें भी मुशकिल से होंगी। और उनमें से शायद सात ही अच्छी हालत में हों। मुरशिदाबाद में कई लाख आदमियों की बस्ती थी। पर १७६९ ईसवी के अकाल और १७७० की चेचक की बीमारी ने उसकी आबादी आधी