तुम्हारे संग भाग चलूं, ओर तिरछा आखें करके उसके मुंह की ओर देखने लगी।
शेख जी मारे आल्हाद के फूल गए, और बोले चलो न।
वि०| ले चलने कहो तो चलैं।
शेख०| वाह तुमको न ले चलूंगा! प्राण मांगो तो दे दूं।
बि०| अच्छा तो यह लो, और गले से सोने की माला निकाल कर प्रहरी के गले में डाल दिया और बोली "हमारे शास्त्र में माला द्वारा विवाह होता है"।
प्रहरी ने दांत बाय कर कहां, तो हमारी तुम्हारी शादी हो गई! "होही गई" कहके विमला चुप रह कर कुछ सोचने लगी।
प्रहरी ने कहा क्या सोचती हो?
वि०| क्या सोचूं मेरे भाग्य में सुख नहीं है।
शेख०| क्यों?
बि०| तुम लोग यहां जय न पाओगे?
शे०| जय हुआ कि होने को है।
बि०| ऊं-हूं इसमें एक भेद है।
श०| क्या भेद है?
बि०| तुमसे कह दूं।
शे०| हां।
बिमला ने कुछ संकोच प्रकाश किया।
शेख जी ने घबरा कर कहा क्यों, क्या है।
बिमला बोली तुम जानते नहीं, जगतसिंह दस सहस्त्र सेना लिए इसी दुर्ग के समीप ठहरे हैं उनको यह मालूम है कि आज तुमलोग यहां आओगे, अभी कुछ न बोलेंगे, किंतु जब तुम लोग दुर्ग जय कर निश्चिंत हो जाओगे तब तुमको