मार्ग निष्कण्टक नहीं हो सकता, उससे शत्रु का नाश नही हो सक्ता।
राजपुत्र ने हंसकर उत्तर दिया, सेनापति न कहेगा कि शत्रु का तो देवता भी कुछ नहीं कर सकते मनुष्य कौन खेत की मूली है। देखो महादेव जी ने तो कामदेव का नाश कर दिया परन्तु आज पन्द्रह दिन हुए उसने इसी मन्दिर में बड़ा उपद्रव मचाया था। इतना बड़ा बीर है!
बिमला मुसकिरा कर बोली, उसने क्या उपद्रव किया था
युवराज ने कहा कि उसने उसी सेनापति पर आक्रमण किया था।
बिमला बोली कि महाराज यह बात असम्भव है।
युव०| इसके दो साक्षी है।
बि०| ऐसा कौन साक्षी है?
युव०| सुन्दरी-राजकुमार की बात पूरी नहीं होने पाई कि बिमला बोल उठी महाराज! यह योग्य विशेषण नहीं है, हमको बिमला कहा कीजिए।
राजकुमार ने कहा "क्या बिमला साक्षी न देगी?"
बि०| बिमला ऐसी साक्षी न देगी।
युव०| सच है, जो पन्द्रह दिन में भूलती है वह क्या साक्षी देगी।
बि०| महाराज मैं क्या भूल गई बताओ तो सही?
युव०| अपनी सखी का पता।
बिमला शंका परित्याग धीर मन होकर बोली "राजकुमार पता बताने में संकोच होता है और यदि बताने पर आप को दुःख होय तो।