बि०| स्वामी से क्या पूछोगे? क्या गवना ब्याह है जो उनसे साइत पूछोगे?
दि०| अच्छा तो न जाऊंगा। तो कब चलना होगा?
बि०| कब? अभी देखते नहीं कि मैं सब ले देके आई हूं।
दि०| अभी?
वि०| नहीं तो कब? जो तुम न चलो तो हम किसी और को ढूढ़ें।
गजपति को फिर और कुछ न सूझी और बोले अच्छा चलो।
बिमला ने कहा अच्छा चदरा लेलेओ।
दिग्गज ने रामनामी अगौंछा ओढ़लिया और बिमला के पीछे हो लिए और उसे पुकार कर पूछने लगे कि लौटेगी कब?
बिमला ने कहा क्या लौटने ही को चलती हूं।
दिग्गज हंसने लगे और बोले कि बर्तन जो हमारे छूट जांंयगे।
बिमला ने कहा कुछ चिन्ता नहीं मैं तुम को नए ले दूंगी।
ब्राह्मण का जी उदास होगया परन्तु क्या करे अबला तो बड़ी प्रबला होती हैं। फिर बोले कि हमारी, "कगदहीं" जो रही जाती है!
बिमला ने कहा अच्छा शीध्र ले भी लेओ।
विद्यादिग्गज के गातेमें दो पोथी थीं एक व्याकरण और एक स्मृति, व्याकरणको हाथमें लेकर बोले कि इसका तो कुछ काम नहीं है, क्योंकि यह तो मेरे कण्ठाग्र है और केवल स्मृति को गाते में रख लिया, और श्रीदुर्गा कह कर आसमानी भी