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दुखी भारत

में कुछ अमरीकन ईसाई-धर्म-प्रचारकों ने मिस मेयो के पुस्तक की निन्दा की है, लिखा था कि कुछ उसके दृष्टिकोण से सहमत भी हैं। व्यक्तिगत रूप से मुझे इसमें सन्देह है कि भारतवर्ष में कोई ऐसा भी अमरीका का ईसाई-धर्म-प्रचारक है जो वास्तव में मिस मेयो के ही समान विचार रखता हो या घृणोत्पादक आक्षेपों का समर्थन करता हो। सम्भवतः हम अमरीकावासियों से यह भूल हुई है कि भारत की जनता के सामने इस पुस्तक के सम्बन्ध में हमने अपने विचार उपस्थित नहीं किये और अपनी शक्ति को अमरीका में इसके कुप्रभावों को रोकने तक ही परिमित रक्खा है।

जिस दिन मुझे पहले-पहल मदर इंडिया पढ़ने का अवसर मिला उसी दिन मैंने इसकी एक संक्षिप्त समालोचना अमरीका के पत्रों में प्रकाशित होने के लिए भेज दी थी। यह समालोचना हाल ही में प्रकाशित भी होगई है। इसमें मैंने अन्य बातों के अतिरिक्त यह भी लिखा था कि मैं एक अमरीकन सहयोगी के ऐसी पुस्तक लिखने पर जिसमें भारतवर्ष का अत्यन्त व्यङ्गपूर्ण चित्र उपस्थित किया गया है, लज्जित हूँ। ईसाइयों की राष्ट्रीय सभा की कार्यकारिणी समिति के हम समस्त अमरीकन सदस्यों ने इस सभा के मन्त्रियों द्वारा प्रकाशित की गई मदर इंडिया की निन्दा का समर्थन किया था। केवल बिशप राबिनसन सहमत नहीं थे। परन्तु मैं समझता हूँ उनका एतराज़ अधिकांश में पारिभाषिक था। इस वक्तव्य की ४०० प्रतियाँ स्वयं मैं अमरीका के एक विस्तृत निर्वाचन क्षेत्र में भेज रहा हूँ। भारतवर्ष के एक समस्त भागों से अमरीकन ईसाई-धर्म-प्रचारकों का एक दल मदर इंडिया के विरोध में अपने वक्तव्य प्रकाशित कर रहा है और वह वक्तव्य अमरीका के समाचार-पत्रों में प्रकाशित होने के लिए भेजा जा रहा है। मिस मेयो के अधिकांश निकृष्ट और अनुचित वक्तव्यों के विरुद्ध अकाट्य प्रमाणों का स्वयं मैंने एक संग्रह तैयार किया है और एक पत्र के रूप में उन्हें मिस मेयो के पास भेज दिया है। उसमें मैंने मिस मेयों से प्रार्थना की है कि वह सत्य और शुभेच्छा के नाम पर अपनी पुस्तक वापस ले ले। श्रीयुत के॰ टी॰ पाल ने मेरी इस चिट्ठी की एक नकल देखी थी और अपने 'यंग मेन आफ़ इंडिया' नामक पत्र में प्रकाशित करने के लिए सानुरोध साँगा था। मैंने इसे पहले ही एक अमरीकन पत्र-प्रतिनिधि को सौंप दिया था ताकि वह मिस मेयो के प्रतिकूल जवाब देने पर उसे अमरीका के पत्रों में प्रकाशित करवा दे। व्यक्तिगत रूप से जहाँ तक मैं जानता हूँ भारत के अमरीकन ईसाई-प्रचारकों की ओर से अमरीका में मिस मेयो की पुस्तक का प्रभाव उखाड़ने के लिए लेखों और चिट्टियों की वर्षा कर दी गई है।

मेरे लिए यह विश्वास करना कठिन है कि मिस मेयो द्वारा उपस्थित किया गया भारत का भयङ्कर और गन्दा चित्र संसार में अधिक समय तक उसका