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भेद-नीति

सर्विस के हेनरी हैरिंगटन थामस नामक एक रिटायर्ड सदस्य ने लिखा था। नीचे उसले कुछ अंश दिये जाते हैं:––

"मैं बतला चुका हूँ कि १८५७ के बलवे के संचालक या जन्मदाता हिन्दू नहीं थे। अब मैं यह बतलाने की चेष्टा करूँगा कि यह मुसलमानों क ही षड्यन्त्र का फल था। जितना सन्देह किया जाता है उससे अधिक काल पूर्व से यह पड्यन्त्र अपना काम कर रहा था; यद्यपि इसके रचयिताओं को इतना शीघ्र इसके भड़क उठने की आशा नहीं थी।......परन्तु प्रश्न यह है कि समस्त देश में ईसाई पुरुषों, स्त्रियों और बच्चों की हत्या करने के लिए इस विद्रोह की आयोजन किसने की? और किसने इसका संगठन किया? केवल अपनी इच्छा और साधनों पर छोड़ दिये जाने पर हिन्दू ऐसा कृत्य करना कदापि पसन्द न करते और न दे कर ही सकते।......नहीं, हिन्दुओं में नहीं, बल्कि मुसलमानों में, हमें ऐसे भयानक षड्यन्त्र के रचनेवाले का पता लगाना चाहिए।...परन्तु जिन कारणों ने हमारी अन्य भारतीय प्रजा की अपेक्षा मुसलमानों को हमारा नाश करने के लिए अधिक प्रेरित किया उन्हें भली भाँति समझने के लिए हमें मुसलमानों के साधारण स्वभाव और धार्मिक-भाव पर विचार करना आवश्यक होगा। वे प्रथम खलीफ़ा के समय में जैसे दम्भी, असहिष्णु और निर्दयी थे वैसे ही आज भी बने हैं। उनमें कुछ परिवर्तन नहीं हुआ। वे चाहे जिस प्रकार हों मुसलिम प्रधानता को सदा बन्दाये रखना चाहते उनसे भिन्न हो, अच्छी प्रजा नहीं हो सकते। कुरान की शिक्षा इसे सहन नहीं करेगी। सिवाय मुस्लिम राज्य के वे सर्वत्र अपने प्रापको विपरीत परिस्थिति में पाते हैं। इसलिए उनका कितना ही पक्षपात कीजिए या उन्हें कितना ही सम्मान प्रदान कीजिए, वे कदापि आपके मित्र नहीं हो सकत। हाँ, जब तक उन्हें अपना अवसर न मिले वे मैत्री का पूरा ढोंग बनाये रह सकते हैं। जहाँ जरा भी अवसर मिला कि बस उनका वास्तविक रूप प्रकट हो जाता है।......परन्तु भारतवर्ष में मुसलमानों ने हमारे नाश का जो आयोजन किया उसमें उनके ईसाई-धर्म से वृणा-भाव के अतिरिक्त और भी उद्देश्य थे। वे यह नहीं भूल सकते कि वे कई पीढ़ियों तक इस देश के शासक रहे हैं। वे मन ही मन निरन्तर सोचते रहते हैं कि यदि अँगरेजों की शक्ति पूर्णरूप से नष्ट कर दी जाय तो वे अपना स्थान फिर प्राप्त कर लेंगे और हिन्दुओं पर एक बार फिर बादशाहत का सिक्का जमा देंगे। देशी सैनिकों में जो असन्तोष फैल रहा था उसको वे समझ गये थे। उसे उन्होंने अपने कपट-प्रेम से प्रज्वलित करना आरम्भ कर दिया। इस बात को वे भलीभाँति जानते थे कि बिना