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दुखी भारत

स्वयं क्लाइव के सम्बन्ध में हाल का ही एक ब्रिटिश इतिहासकार लिखता है*[१]:-

"बङ्गाल के अच्छे शासन के लिए लाइव को किसी प्रकार के उत्तरदायित्व की परवाह नहीं थी। उसकी एक-मान्न इच्छा यही रहती थी कि नवाब और उसकी प्रजा की कमजोरियों से लाभ उठाकर वह कम्पनी की राजनैतिक प्रधानता सुरक्षित रक्खे।" परन्तु ब्रक्स आदम के शब्दों में "लाइव ने अपने लिए या सरकार के लिए जो कुछ छीना-झपटी की वह उस पूर्णरूप से जारी लूट-खसोट के मुकाबले में कुछ भी नहीं थी जो उसके चले जाने के पश्चात् से प्रारम्भ हुई थी। तब असहाय बङ्गाल पर लाखों लालची कर्मचारी टूट पड़े थे। वे 'उत्तरदायित्व से शून्य और अत्यन्त लोलुप थे और व्यक्तिगत सम्पत्ति को भी हड़प लेते थे।"


  1. * मुइर: ब्रिटिश भारत का निर्माण, मैंनचेस्टर १९११ ई॰ पृष्ठ, ८२