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दुखी भारत


नुसार, 'निरुद्योगी, गंदे, अन्ध-विश्वासी और कामुकता में फंसे' हम हिन्दुओं पर मध्य एशिया से एकाएक घोर आँधी आ जाय तो हमें इस समय जो अपमान-पूर्ण जीवित मृत्यु का कष्ट सहना पड़ रहा है उससे बड़ा सदय छुटकारा मिल जाय। अभाग्य से मिस मेयो का यह उद्देश्य नहीं है। उसका काम है भारत को स्वराज्य के लिए अयोग्य सिद्ध करके इस देश में गोरी प्रभुता को और भी मज़बूत करना।

यह चतुर लेखिका अपने भिन्न भिन्न पात्रों के मुँह से जो मनोरञ्जक बातें कहलाती है उनमें एक ऐसे सनसनीदार उपन्यास के पृष्ठों के पढ़ने कासा मज़ा आता है जिसमें सचाई का बिलकुल ध्यान नहीं रखा जाता। उसकी बहुत सी बातें मुझे विश्वास के सर्वथा अयोग्य प्रतीत होती हैं और जिन नर-नारियों के साथ उनका सम्बन्ध जोड़ा गया है, उन्हें वे अनुकूल प्रकाश में नहीं दिखलाती। उदाहरण के लिए एक राजा के मुंह से कहलाये गये नीचे लिखे वक्तव्य पर विचार कीजिए :—

"उनमें से एक ने मुझसे बड़ी शान्ति के साथ कहा—हमारा लगाव विलायत के राजमुकुट के साथ है। हिन्दुस्तान के राजाओं ने किसी सरकार के साथ ऐसा समझौता नहीं किया जिसमें बङ्गाली बाबू भी शामिल हों। हम इन दफर के लौंडों के साथ कभी पेश नहीं आ सकते। जब तक ब्रिटेन का शासन है वही हमारे पास अपने अँगरेज़ प्रतिनिधि भेजेगा। और सब बातें ऐसी ही होंगी जैसी कि मित्रों में होनी चाहिएँ। यदि ब्रिटेन यहाँ से अपना शासन उठा लेगा तो हम सच्चे राजाओं की भांति भारत को सीधे रास्ते पर लाना जानते हैं।"*[१]

भारतीय नरेश कितने ही गिरे क्यों न हों, बिना प्रत्यक्ष प्रमाण के मैं इस बात पर विश्वास नहीं कर सकता कि भारतवर्ष में कोई ऐसा नीच राजा भी है जो इस प्रकार का वक्तव्य दे। यह कहने की आवश्यकता नहीं कि लेखिका ने उस राजा का नाम नहीं प्रकट किया।

३१४ पृष्ठ पर एक इससे भी अधिक अपमानजनक वक्तव्य देखने में आता है। वह इस प्रकार है :—

"दीवान ने कहा—'राजा साहब इस बात को नहीं मानते कि अँगरेज़ हिन्दुस्तान को छोड़ने जा रहे हैं। पर तब भी इंग्लैंड के इस नये शासन के कारण उन्हें ग़लत सलाह दी जा सकती है। इसलिए राजा साहब अपनी सेना संभाल रहे हैं, हथियार इकट्ठा कर रहे हैं और चांदी के सिक्के ढाल


  1. मदर इंडिया पृष्ठ ३१६ (आमेर संस्करण)