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पश्चिम में कामोत्तेजना

ब्लाच ने जिस 'उच्च कोटि' की अश्लीलता का ऊपर के उद्धृत पैराग्राफ में वर्णन किया है, वह साहित्य और नाटक इत्यादि की अश्लीलता है। फ्रांस के नाटकों आदि के सम्बन्ध में एम॰ ब्यूरो लिखते हैं[१]:––

"फ्रांस में या फ्रांस के बाहर कौन नहीं जानता कि हमारे नाटक लिखने वालों ने गत तीस वर्षों से व्यभिचार, स्वतंत्र प्रेम, गन्दा जीवन और विवाह-विच्छेद के अत्यन्त दूषित दृश्यों को रङ्गमन्च पर लाने के लिए अपने आपको खूब संलग्न कर रक्खा है। हमारे समय के रवाजों को अङ्कित करने के बहाने कोई यह कह सकता है कि फ्रांस में विश्वासघातिनी नियतमाओं के अतिरिक्त और प्रियतमाएँ नहीं है; भद्दे और मूर्ख पतियों के अतिरिक्त और कोई पति नहीं हैं, और कोमल तथा सम्मानयोग्य भावों की एक मात्र अधिकारिणी केवल अर्द्धवेश्याएं हैं। रङ्गमन्च पर केवल पतित व्यक्तियों के हाव-भाव और घोर कामोलेजना को ही आदर मिलता है।......

"कहीं उपाख्याल और गीत अत्यन्त अश्लील होते हैं। नाटक में बने ऐतिहासिक पुरुष और अन्य दृश्य भी विषय-भोग-सम्बन्धी बातों को ही चित्रित करते हैं। दर्शक––उनमें एक सहत्र से अधिक प्रसिद्ध पुरुष होते हैं (कम से कन वे दिखलाई इसी प्रकार पड़ते हैं)––अत्यन्त प्रशंसोदार प्रकट करते हैं। कहीं छोटे गीत और उपाख्यान बहुत ही अश्लील होते हैं। और हाव-भाव ऐसे प्रदर्शित किये जाते हैं कि सदाचार का सार्वजनिक रूप से संहार होने लगता है। इन दृश्यों को देखकर छोटे बच्चे भी खूब प्रसन्न होते हैं और अपने माता-पिता की आँखों के सामने ही तालियाँ बजाकर अपनी प्रसन्नता प्रकट करते हैं। कहीं दर्शकों की एक बड़ी जमात एक ऐसे नाटककार को जो अपना कार्य एक अत्यन्त अश्लील गीत के साथ समाप्त करता है, पाँच बार खुल्लाकर वही गीत सुनती है।

"जिन नाटकों में गुप्त और अनुचित प्रेम अधिन रहता है उनकी और भी प्रशंसा होती है। क्योंकि वे प्रत्येक पद में अधिक से अधिक गन्दगी का रसास्वादन कराते हैं,

युद्ध के पश्चात् से इन बातों का प्रचार और भी अधिक बढ़ गया

है। जिन नाटकों का मुख्य विषय 'माता या बहन के साथ व्यभिचार' करना रहता है उनकी और भी प्रशंसा होती है। नोएल कावर्ड के एक नाटक में


  1. उसी पुस्तक से, पृष्ठ ४३-४५।