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पश्चिम में कामोत्तेजना

है। प्रतिद्वन्द्विता के बाज़ार में विशाल जनसंख्या के साथ व्यवसायों की उन्नति, बड़े बड़े शहरों की उन्नति और सघन बस्ती, नौकरी का अरक्षित और अनिश्चित होना; आदि बातों ने वेश्या-वृत्ति को इतना बड़ा क्षेत्र दे दिया है कि जितना मानव-जाति के इतिहास में कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा गया।"

सार्वजनिक वेश्याओं और अर्द्ध-वेश्याओं के अतिरिक्त आधुनिक नगरों में 'बहुत दूर तक गुप्त-रूप से व्यभिचार फैला हुआ है।' डाक्टर ब्लाच ने गुप्त व्यभिचार के भिन्न-भिन्न स्थानों और रूपों का वर्णन किया है। 'स्त्री-सेविकाओं' से युक्त सार्वजनिक गृहों, नृत्य-गृहों और नाच की दूकानों, थियेटरों, निम्न कोटि के सङ्गीत-भवनों, मुसाफिरखानों, और सङ्गीत विद्यालयों आदि को व्यभिचार के अड्डे ही समझना चाहिए। ये सब अधिकांश में वेश्यागृहों से किसी प्रकार अच्छे नहीं हैं।

इन अर्द्ध-वेश्या-गृहों के द्वारा जो कामोद्दीपन किया जाता है उसे सुसंघटित और व्यापक रूप से फैले अश्लील साहित्य से और भी सहायता मिलती है। मिस्टर पाल ब्यूरो कहते हैं[१]––'विषय-भोग और व्यभिचार की इन बड़ी-बड़ी संस्थाओं को अश्लील साहित्य से बड़ी सहायता मिलती है। अर्थात् काम-वासना की क्षुधा जागृत की जाती है और तुरन्त ही तृप्ति का भी सामान कर दिया जाता है। इससे यह मांग दिनों दिन बढ़ती जाती है।' अश्लील साहित्य और चित्रों आदि का समाचार-पत्रों में खूब विज्ञापन और समावेश रहता है। क्योंकि अश्लीलता-प्रचार एक अत्यन्त सफल व्यापार है। एम॰ ब्यूरो कहते हैं[२]––

"फ्रांस में अश्लील पर्चों और पुस्तकों का प्रकाशन इतना अधिक बढ़ गया है कि उस पर कदाचित् ही किसी को कुछ सन्देह हो। इनमें से कुछ पुस्तकों की प्रथम संस्करण में ही ५०,००० प्रतियाँ निकल गई। और अब उनका सोलहवाँ संस्करण ९५ सेंटिम्स में बिक रहा है। इन पुस्तकों के मूल्य में जो भिन्नता है वही भिन्नता अश्लील वर्णनों में भी है। इस प्रकार 'ट्राइस नुइट्स डेमर' नामक पुस्तक ३० सेंट में ख़रीदीं जा सकती है। 'लेस


  1. उसी पुस्तक से, पृष्ठ ३९।
  2. उसी पुस्तक से, पृष्ठ ३९।