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दुखी भारत


तो युद्ध से जो कुछ प्राप्त हुआ है वह सब व्यर्थं जायगा क्योंकि दक्षिणी राज्यों की प्रवृत्ति तब भी विद्रोहात्मक ही थी और वह दासता की प्रथा बन्द होने से पहले हबशियों की जो दशा थी वही फिर उपस्थित करने के लिए प्रत्येक संभव उपाय का प्रयोग कर रही थी। दक्षिणी रियासतों और प्रजातन्त्र की कांग्रेस में जो खींचाखींची हो रही है उसका यही कारण है।

हबशियों का बहुमत कम करने के लिए बराबर उद्योग होता रहा। यहाँ तक कि एक प्रकार से हबशी जनता मताधिकार से सर्वथा वञ्चित कर दी गई। आज भी दक्षिणी राज्यों में हबशी का राजनैतिक स्थान उसी प्रकार शून्य के बराबर है जैसा कि दासता की प्रथा बन्द होने से पूर्व था। संयुक्त राज्यों में हबशी की वर्तमान राजनैतिक स्थिति एक दूसरे अमरीकन लेखक मिस्टर पाल लिलैंड हैवर्थ के शब्दों में नीचे लिखे अनुसार:—

"पन्द्रहवें संशोधन के अनुसार 'जाति, वर्ण या पूर्व की दासता की स्थिति के कारण' कोई नागरिक मताधिकार से वञ्चित नहीं किया जा सकता। हबशी के राजनैतिक अधिकारों के विरुद्ध कोई कानूनी भेद उपस्थित किया जाय तो निश्चय यह संशोधन उस भेद के उपस्थित होने में बाधक-रूप प्रतीत होगा परन्तु प्रत्येक व्यक्ति यह जानता है कि इस संशोधन की अवहेलना करने के लिए भी उपाय ढूँढ़ लिये गये हैं। सुधार-शासन के अन्त होने पर दक्षिणी राज्यों में हबशियों को मताधिकार से छल या बलपूर्वक वञ्चित कर दिया गया। परन्तु १८९० ई॰ में मिसीसिपी राज्य ने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक ऐसी आयोजना उपस्थित की, जो एक प्रकार से विधानात्मक प्रतीत होती थी। वर्तमान समय में प्राचीन राज्य-संघ के, प्रत्येक राज्य—फ्लोरिडा, अर्कन्साज, टिनेसी और टेक्लाज़ को छोड़कर—के पास मताधिकार-सम्बन्धी ऐसे साधन मौजूद हैं जो हबशियों को राजनीति से सर्वथा पृथक् कर देने के लिए पर्याप्त हैं। इसके प्रतिवादस्वरूप जिन चार राज्यों का नामोल्लेख किया गया है उनमें भी हबशी का कोई महत्त्व नहीं है। शिक्षा-सम्बन्धी या साम्पत्तिक क़ैद लगाकर अपढ़ और निर्धन हबशी मतदाताओं को बहिष्कृत कर दिया जाता है परन्तु अपढ़ और निर्धन गोरों के लिए 'पादरी की दफ़ा' या 'समझदारी की दफ़ा' के अन्दर मत प्रदान करने का मार्ग निकाल लिया जाता है। रजिस्ट्री करनेवाले गोरे अफ़सर इन दफ़ाओं का प्रयोग हबशियों के साथ कठोरता से और गोरों के साथ नर्मी से करते हैं। मताधिकार-सम्बन्धी इन संशोधनों का एकमात्र उद्देश्य यही था कि हबशी राजनीति से पृथक् कर दिये