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सुरमः-ए-मुफ़्त-ए-नज़र हूँ, मिरी क़ीमत यह है
कि रहे चश्म-ए-ख़रीदार प एहसाँ मेरा

रुख़सत-ए-नालः मुझे दे, कि मबादा ज़ालिम
तेरे चेहरे से हो ज़ाहिर, ग़म-ए-पिन्हाँ मेरा

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गाफ़िल ब वहम-ए-नाज़ ख़ुद आरा है, वर्नः याँ
बेशान-ए-सबा नहीं तुर्र: गियाह का

बज़्म-ए-क़दह से 'अश-ए-तमन्ना न रख, कि रँग
सैद-ए-ज़िदाम जस्त: है, इस दाम गाह का

रहमत अगर क़ुबूल करे, क्या ब'अद है
शर्मिन्दगी से 'अज़्र न करना गुनाह का

मक़्तल को किस निशात से जाता हूँ मैं, कि है
पुर गुल, खयाल-ए-ज़ख़्म से, दामन निगाह का

जाँ दर हवा-ए-यक निगह-ए-गर्म है, असद
परवानः है वकील, तिरे दाद ख़्वाह का