पृष्ठ:दीवान-ए-ग़ालिब.djvu/२६

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नक़्श फ़रियादी है, किसकी शोख़ि-ए-तहरीर का
काग्जी है पैरहन, हर पैकर-ए-तस्वीर का

काव-ए-काव-ए-सख्त जानीहा-ए-तन्हाई न पूछ
सुबह करना शाम का, लाना है जू-ए-शीर का

जज्ब-ए-बे इख्तियार-ए-शौक देखा चाहिये
सीन-ए-शमशीर से बाहर है, दम शमशीर का