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असद, बहार-ए-तमाशा-ए-गुलिस्तान-ए-हयात
विसाल-ए-लालः 'अिज़ारान-ए-सर्व क़ामत है

३६


रश्क है आसाइश-ए-अर्बाब-ए-ग़फ़्लत पर, असद
पेच-ओ-ताब-ए-दिल, नसीब-ए-ख़ातिर-ए-आगाह है

३७


तोड़ बैठे, जबकि हम जाम-ओ-सुबृ, फिर हमको क्या
आस्माँ से बादः-ए-गुल्फ़ाम, गो बरसा करे

३८


ता चन्द, नाज़-ए-मस्जिद-ओ-बुतख़ानः खेंचिये
ज्यों शम्'अ, दिल ब ख़ल्वत-ए-जानानः खेंचिये

'अज्ज-ओ-नियाज़ से तो न आया वह राह पर
दामन को उसके आज हरीफानः खेंचिये