पृष्ठ:दीवान-ए-ग़ालिब.djvu/२२८

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असद, उठना क़यामत क़ामतों का, वक़्त-ए-आराइश
लिबास-ए-नज़्म में, बालीदन-ए-मज़मून-ए-'आली है

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हम मश्क-ए-फ़िक्र-ए-वस्ल-यो-ग़म-ए-हिज्र से, असद
लाइक़ नहीं रहे हैं, ग़म-ए-रोज़गार के

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असद, बन्द-ए-क़बा-ए-यार है फ़िरदौस का ग़ुंचः
अगर वा हो, तो दिखला दूँ, कि यक 'आलम गुलिस्ताँ है

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आतश अफ़रोज़ि-ए-यक शो'ल:-ए-ईमाँ तुझसे
चश्मक आराइ-ए-सद शह्र-ए-चराग़ाँ मुझसे