पृष्ठ:दीवान-ए-ग़ालिब.djvu/२२३

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अगर आसूदगी है मुद्दा -ए-रज-ए-बेताबी निसार-ए-गर्दिश-ए-पैमानः-ए-मै रोजगार अपना

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असद, यह 'प्रिज्ज-ओ-बेसामानि-ए-फ़िर अन तौअम है जिसे तू बन्दगी कहता है, दावा है खुदाई का १५ हमने वढ्शत कद:ए-बड़म-ए-जहाँ में ज्यों शम्श्र शो'लः -ए-'अिश्क को अपना सर-श्रो-सामाँ समझा बसूरत तकल्लुफ़, बमा नी तपस्सुफ़ असद, मैं तबस्सुम हूँ पशमुर्दगाँ का