यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१९५
तपिश से मेरी, वक़्फ़-ए-कशमकश, हर तार-ए-बिस्तर है
मिरा सर रँज-ए-बाली है, मिरा तन बार-ए-बिस्तर है
सरश्क-ए-सर बसहरा दादः, नूरुल 'अन-ए-दामन है
दिल-ए-बेदस्त-ओ-पा उफ्तादः, बर्ख़ुर्दार-ए-बिस्तर है
ख़ुशा इक़बाल-ए-रंजूरी,'अयादत को तुम आये हो
फ़रोग़-ए-शम्-'ए-बाली, ताले'-ए-बेदार-ए-बिस्तर है
ब तूफ़ाँ गाह-ए-जोश-ए-इज़्तिराब-ए-शाम-ए-तन्हाई
शु'आ-ए-आफ़्ताब-ए-सुब्ह-ए-महशर तार-ए-बिस्तर है
अभी आती है बू, बालिश से, उसकी ज़ुल्फ़-ए-मिश्कीं की
हमारी दीद को, ख़्वाब-ए-ज़ुलैखा, 'आर-ए-बिस्तर है
कहूँ क्या, दिल की क्या हालत है, हिज्र-ए-यार में, ग़ालिब
कि बेताबी से, हर इक तार-ए-बिस्तर खार-ए-बिस्तर है
१९६
ख़तर है, रिश्तः-ए-उल्फ़त रग-ए-गर्दन न हो जावे
ग़ुरूर-ए-दोस्ती आफ़त है, तू दुश्मन न हो जावे