यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उपसंहार। और शान्त स्थान चाहिए, मित और सात्त्विक भोजन चाहिए, तथा मूक और शान्त- वृत्ति चाहिए; और और भी इसी प्रकार के अनेक कठिन साधनों की योगमार्ग में आव- श्यकता है । इन बातों पर विचार करने से जान पड़ता है कि गृहस्थ या संसारी लोगों के लिए योगमार्ग दुःसाध्य ही नहीं, किन्तु असाध्य है। इसलिए यदि श्रीसमर्थ ने योग. मार्ग से जाने का उपदेश नहीं किया, तो इसमें क्या आश्चर्य है ? वास्तव में उन्हें ऐसा ही करना उचित भी था। उन्होंने अपने दासबोध में कर्ममार्ग, भक्तिमार्ग और ज्ञानमार्ग का जो उपदेश दिया है वह अत्यन्त सुलभ और अमूल्य है २०-उपसंहार । दासबोध का रहस्य जान कर उससे शिक्षा ग्रहण करने के लिए इस ग्रन्थ ही को चार वार पढ़ना और उसमें लिखे हुए सिद्धान्तों का मननपूर्वक विचार करना अत्यन्त आव- शक्य है। हमें यह पूर्ण विश्वास है कि इस ग्रन्थ के सिद्धान्तों के अनुकूल यदि आचरण किया जायगा तो हमारे राष्ट्र का अभ्युदय अवश्य होगा ।