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दासबोध। [ दशक १३ वेक का फल दुख है-अब इन दो में से जो अच्छा लगे उसे अवश्य करना चाहिए ॥२८॥ कर्ता को पहचानना चाहिए, और इसीको विवेक कहते हैं-विवेक छोड़ने से परम दुखी होना पड़ता है ॥ २६ ॥ अस्तु । अव यह कथन बस करो । कर्ता को पहचानना चाहिए । चतुर पुरुष को अपना हित न भूलना चाहिए ॥ ३०॥ आठवाँ समास-कर्ता कौन है ? ।। श्रीराम ॥ श्रोता पूछता है कि, निश्चय करके कर्ता कौन है और सब सृष्टि या ब्रह्मांड को किसने बनाया है ? ॥१॥ यह सुन कर जो एक से एक अच्छे 'सभापंडित थे उन्होंने बोलना शुरू किया। उनके बोलने का कौतुक अव श्रोता लोगों को सावधान होकर सुनना चाहिए:- ॥ २॥ कोई कहता है कि, कर्ता ईश्वर है; कोई कहता है कि, ईश्वर कौन है ? इस प्रकार अपना अपना अभिप्राय सब बतलाने लगे ॥३॥ उत्तम, मध्यम, कनिष्ट- जिसका जैसा भाव है वह वैसा स्पष्ट बतलाते हैं । अपनी अपनी उपा- सना लोग श्रेष्ट मानते हैं ॥ ४ ॥ कोई कहता है कि, कर्ता मंगलमूर्ति गणेश है, कोई कहता कि, सरस्वती सब करती है ॥ ५॥ कोई कहता है कि, कर्ता भैरव है, कोई कहता है कि, खंडेराव है, कोई कहता है कि, बीरदेव कर्ता है, और कोई कहता है कि, भगवती है ॥ ६ ॥ कोई कहता है कि, नरहरी, कोई कहता है, वनशंकरी और कोई कहता है कि, सर्व- कर्ता नारायण ही है ॥ ७॥ कोई कहता है, श्रीरामकर्ता है, कोई कहता है, श्रीकृष्ण करता है और कोई कहता है कि, भगवान् केशवराज कर्ता है ॥८॥ कोई कहता है कि, पांडुरंग कर्ता है, कोई कहता है कि, श्रीरंग कर्ता है और कोई कहता है कि, झोटिंग सब करता है ॥ ६ ॥ कोई कहता है कि, 'मुंज्या ' कर्ता है, कोई कहता है कि, सूर्य कर्ता है और कोई कहता है कि, अग्निदेव सब कुछ करता है ॥१०॥ कोई कहता है; लक्ष्मी करती है, कोई कहता है; मारुती करता है और कोई कहता है कि, धरती सब कुछ करती है ॥ ११ ॥ कोई कहता है; 'तुकाई, 'कोई कहता है; ' यमाई, ' और कोई कहता है कि, 'सटवाई' सब करती है ॥ १२ ॥ कोई कहता है कि, भार्गव कर्ता है, कोई कहता है कि, वामन कर्ता है और कोई कहता है कि, केवल परमात्मा ही कर्ता है ॥ १३ ॥