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समास ५] सातभनि। एव, बीपी शनि का निर्णय बड़े महत्व का रे--ससे छानक मनुष्य तरते पाँचवाँ समास-अर्चनभक्ति। ॥ श्रीराम ॥ भी चौपी भक्ति का लक्षण बतलाया, अब सावधान होकर पाँची भक्ति सुनिये ॥ १ ॥ पांची भक्ति का नाम अर्चन है । 'अर्चन' देवता- र्चन को कहते शास्त्रों के अनुसार भगवान की पूजा करना चाहिए ॥२॥ नाना प्रकार के शासन तथा अन्य सामग्री, वस्त्र, अलं- कार, भूषण आदि के सहित मानसपूजा, और मूर्ति का ध्यान, करना पांची भक्ति है ॥३॥ देव, ब्रामण और अग्नि की पूजा करना, साधु- संत और अतिथि-अभ्यागत की पूजा करना, यती महानुभाव और गायत्री की पूजा करना पांचवी भक्षित है ॥४॥ धातु, पापाण और मृ- तिका की मूर्तियों का पूजन, चित्र-लिखित मूर्ति और सत्पुरुपों का पूजन, और अपने घर के देवताओं का पूजत करना पांचवीं भक्ति (अर्चन) है ।। ५. सप्त-अंकित और नव-अंकित शिलाएं, शालिग्राम, शकल, चक्र- अंकित लिंग, सूर्यकांत, सोमकांत, वाण-तांडल, नर्मदेश्वर, आदि मूर्तियाँ की पूजा करनी चाहिए ॥ ६ ॥ भैरव, भगवती, खंडेराव, मुंजा, नृसिंह, वनशंकरी, नाग, सिक्के, श्रादि अनेक देवमूर्तियों और पंचायतन की पूजा करना चाहिये ॥ ७ ॥ गणेश, शारदा, विठ्ठल, वालकृष्ण, जगन्नाथ, तांड- वमूर्ति, श्रीरंग, हनुमंत और गरुड़ की मूर्तियां देवतार्चन में पूजना चाहिये ॥ 5 ॥ मत्स्य, कृर्म और वाराह की मूर्ति, नृसिंह चामन और भार्गव की मूर्ति, रामकृष्ण और हयग्रीव की मूर्ति देवतार्चन में पूजना चाहिये ॥ ६ ॥ केशव, नारायण और माधव की मूर्ति, गोविन्द, विष्णु और मधुसूदन की मूर्ति, त्रिविक्रम, वामन और श्रीधर की मूर्ति तथा हुपीकेश और पद्मनाभि की मूर्ति पूजना चाहिए ॥ १०॥ दामोदर, संक- पण और वासुदेव की मूर्तियां, प्रद्युन्न, अनिरुद्ध और पुरुषोत्तम की मू- तियां, अधोक्षज, नारसिंह और अच्युत की मूर्तियां तथा जनार्दन और उपेन्द्र की पूजा करना चाहिए ॥ ११॥ हरि और हर की अनन्त मूर्तियां, भगवान्, जगदात्मा और जगदीश की मूर्तियां, शिव और शचि की अनन्त मूर्तियां देवत्तार्चन में पूजना चाहिये ॥ १२॥ अश्वत्थ नारायण,