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ग्रंथ-समर्पण-


जिनकी कृपादृष्टि से मेरे मन की चंचलता नष्ट
हुई, जिनके सदुपदेश से मेरे अंतःकरण में शांति
का साम्राज्य प्रस्थापित हुआ, जिनके अद्भुत
चरित्र से मुझे दृढ़ निश्चय की शिक्षा
मिली और जिनके बोधवचनों से
अखंड सुख का मार्ग प्राप्त हुआ तथा
जिनकी आज्ञा से यह ग्रन्थ
लिखने का अवसर मिला
उन्हीं

प्रो. श्रीधर विष्णु परांजपे, वी० ए०
श्रीसूर्यदेव मठ, हनुमानगढ़, वर्धा निवासी,
हमारे आत्मीय सद्गुरु, श्रीराम-
दासानुदास महाराज के हस्त-
कमलों में यह ग्रंथ सादर
समर्पित किया गया है,