दुम्सवाल मे प्रवेश (चल) १३ (समा गये। वह इूंढ युद्ध करने बाला कसरती जवान तो अब उनका मित्र हो गया। पर उपयुक्त सभा की खबरहमेंमिल चुकी थी। इसलिएऐसे
परे के जिए भी हम तैयार थे। इतनी पुलिस को बुलाकर खड़ी
कर रखने से चाहे यह मतलब भी होसकता था कि गोरों को उप-
देव करने सेरोका जाय। जो हो,हमारा जुछूस तो शांति पूर्वक जा
रहा था। मुझे तो याद हैकि किसी गोरे ने जरासी खुरापात तक नहींकी |सभी इस नवीन आख़ये को देखने के लिए बाहर निकल
पढ़ेथे। उनमें से कितनों दी की आँखों मे मिश्नता कलकती थी।' हमारा पहले दिन का मुकाम ऐसे ए+ स्टेशन पर था जो वहांसे श्राठमीज्ञकेफासले पर था। शाम केछसात बजे दम वहाँ पहुँच"
गये। रोटो और शक्कर खरा कर सभी लोग खुली हवा मे लेटे हुए ये।कोई भजनगारहा! था, तो कोई बातचीत कर रहा था। राह
भे कितनी ही स्रियों थक गई थीं। अपने बच्चों को गोदमेतेकर
पतने की हिम्मत तो उन्होंने कीथी, पर अब आगे चलना उनकी
शक्ति से बाहर की वाद थीं। इसलिए अपनी चेतावनी के अनुसार
उन्हेंएक भारतीय सज्ञन की दूकान पर छोड़ विया, और उन्हें
कहदिया कियदिहम टॉल्स्टरॉय फांमपरपहुँच जांयतोवेउन्हेंवहाँ
भेज देऔर गिरफ्तार होजायें, तो उनके अपने घरपर वापिस भेज
। उन भारतीय व्यापारी सज्जन ने इस प्रार्थना कोमान लिया।
। जैसे जैसे रात होती गई पैसे बैसे शान्ति बढ़ती गई। मैंभी सोने की , तैयारी फर रहो-था कि इतने में कहीं सेखड़बड़ाहट
घुनाई दी। लाज़देन.हाथ में लिए हुए गोरों को आते हुए मैंने देखा ।मेंचेता। मुझे कोई तैयारी वो करना दी नहीं थी। पुलिस भधश्रिकारी ने रद्दा:--