विदाह गेर कानूनी
१३१
कर सकता हूँ? न इसमे अविश्वास की दी कोई बात है। मैं तो
तेरे उत्तर सेभी खुश हूँ। पर झुमेइस वात का आभाल्ल तक पसंद नहींकि मेरेकहने पर तूजेलगई है। ऐसे काम सब को अपनी
अपनी द्विम्मत पर ही करना चाहिए | मेंयदि तुम से कहूँ, और यदितूमेरी आज्ञा कापालन करने के लिए स्वभावतः जेल चली भी जाय, किंतु श्रदा्नत में खड़ी रहते समय तेरे दाथ-पाँव कॉपें, तू हर जाय, या जेल के कष्टों फो तू बरदाश्व न कर सके तो इस मे
मैंतुमाकों दोष तो न दूँगा, पर मेरी द्वालत क्या होगी ( मैं फिर
तुप्तेकिस तरह अपने पास रक््ख्, और संसार में किस तर मं
डँचा सिर करके खड़ा रह सकूंगा १ इसी भयसे मैंने तुझे अब तक
कुछ नहीं कद्दा था। ” मुझे उत्तर मिल्ाः--/ यदि में द्वार कर छूट जाओँ तो आप मेरा स्वीकार न कीजिएगा। आप यह फह्पना भी किस तरद कर सकते हैँ कि मेरे बच्चे उन कष्ट फो सह सकते हैं,आप सब उन्हें वरदाश्त कर सकते हू और अकेली मे ही उन्हें नहीं सह सकूंगी ? मुझे तो आपको
इस युद्ध में शामिल करना ही होगा ।” मैंने उत्तर दिया “ तब तो ही हमे तुझे शामिल करना ही पढ़ेंगा। मेरी शर्ते तो तूजानती तो दो करना विचार भी अब | ।मेरा स्भाव भी जानती है. होफि फरत्े | यदि पूरी तरह विचार कर छेने पर तुझे मास
युद्ध मेशामित्र नहीं होना चाहिए, तो तुझे छुट्टी है। पहले ही सेनिश्चय बदलने भे कोई शर्म की बात नहीं है। ? उत्तर सिला
पर “मुझे कुछ भी सोचला-बिचारना नहीं है। मेंअपने निम्नय
छू हूँ७? फिनिक्स में अन्य निवासी भी थे, उन्हें भी मैंने इसप्रश्नद्दी विचार करने केलिए कह्दा ।युद्धका अंत शीघ्र पर खतंत्र रीति से
उसका नाम भी मिट जाय, जाने था देरी से , फिनिक्स चना रद्दे या नहृत्ना पाले भत्ते चंगे रहेंया बीमार द्वोजावे, परयुकिसी को पीछे