टॉल्ट्टॉय फार्म (३)
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हुश्ना। पर उन्होंने मुमे एक शब्द भी नहीं कद्दा। हां, उनके चेहरे परसेमेंसब कुछ और श्पनी मूर्खता को भी ज्ञान गया । जब देखा कि हम सब जसीन पर सोते थे, तत्र तो उन्होंने भी
बाद को अलग कर दिया; ओर अपना विस्तर जमीन पर ही गगवा लिया । रात भर मेंपडा-पड़ा पश्चात्ताप करता रहा । गोखले
जी को एक आदत थी, जिसे में कुटेव कहता था। वह केवल
ग्रेकर से ही काम लेते ये । ऐसे लम्बे प्रवाप्तों में वद नोकरों को गथ नहीं रखते ये। मि०केज्नवेक नेऔरमैंने कईबारउनके रर दवा देने के लिए प्राथना की | पर वह टस से मत नहीं हुए। प्रपनेपैरों कोहमे स्पर्श तक नहीं करने दिया। उत्नटा कुछगुस्से
? और कुछ हंसी में कद्दा--/मालूम दोता है। आप सच त्ोगों समम रक्खा कि दुःख और कष्ट उठाने के क्षिण फेवल आप रीपैदा हुएहैं,और मुझ जेसेआपको केबल कष्ट देने के लिए।
गे,भुगतो अत्र अपनी “अति! की सजा | मेंतुम्हें अपने शरीर
गेसर्श तक नहीं करने दूंगा ।आप सब त्ञोग तो नित्य-फ्रिया के लए मैदानमें जञावंगे औरमेरेलिएफम्मोढ रख छोड़ा है, क्यों ग्रर, परवा नहीं । आज तो में जरूर आपका गये दर करूंगा, चाहे सके लिए किवना ही कष्ट हो ”। यह वचन तो वद्च के समान
। कैलनवैक और मेंदोनों सुश्ल हो गये ।पर उनके चेहरे पर छ कुछ इंसी भी थी, वस यद्दी हमें आश्वांसन' दे रदीथथी।
पजुन ने अशानवश प्रीकृष् को कितना द्वीकष्ट क््योंन दिया ),पर क्या यद्द सब श्रीकृष्ण ने याद रकखा होगा ! गोखलेजी ने
ऐ केवल सेवा को ही याद रक्त ।और खथी यह कि सेवा तो
रने भीन दी। मोंबासा सेलिखा हुआ उतका वहप्रेम भरापत्र, रे हृंदय में अंकित है। उन्होंने आप कष्ट उठा लिया, पर दम
नकी जोसेवाकरसकते थे; वद भीउन्होंने नहीं करने दी।