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पहला उमभौता
पर कितनी भारी जिम्मेदारी आ गयी देइत्यादि समसाने के लिए मुझे समायें अवश्य ही करनी होंगी !” जनरत्ञ समदस नेकहदाहाँ, ऐसी सभायें तो जितनी घाहं उत्तनी फरें। मेरी घात आप समसः गये यही कांफी है।”
इस समय शाम के सात बजे होंगे। मेरे पास तो एक पाई
भी न थी। जनरल स्मद्स के सेक्रेटरी ने जोह्दान्सवग तक जाने
का किराया दिया। यह मशबरा प्रिदोरिया मेंहुआ था,) प्रिटोरिया के भारतीयों के पास ठहरकर वहाँ समझौता प्रकट करना आवश्यक नहीं था। खास-खास आदमी जोहान्सवम् मेंही थे ।
केन्द्र भी जोह्ान्सवर्ग था। जोद्दान्सवग जानेवाली आखिरी गाड़ी जाने को थी | वह मुझे मित्र भीगयी।