ददिय प्र्तीषा यासत्याप्रए
की
फरना ही होगा ।”
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अध तो प्योष्टी ऐशियाटिफ भाफिस फे हाथ ये पानृन के
त्योंही उसने उनपर पूरा अमक्ष फरता शुरू फर टिया! कं
नहीं, धल्कि यदि मत्नि-्मंहज सोचे कि पानुन 'प्रमन्न करने
लायक हैं, तो उसमें ओ चरुटियाँ हो या रद गयो हों उन्हें भी
मंत्रिंमर्हल को दूर कर देना चाहिए। दल्लौतन और यदि उचित होंवो इनमे ज्ञो टोप रह गये हो उनकों दूर
ाते मातम होती हैं। यदि ये फानून खगय होंतो रद तोफर मोधी-म दिये जायें, कर दिया जाय। भत्रि-मरदक् नेवो उन कानूनों पर भ्रम
करने की नीति धारण फरली थी। भारतीयों ने श्रंपरेजों केसाय
युद्ध में खटा रशफर अपनी लान खतरे में डालकर भी काम किया था। यह तो अत्र तीम-भार माल की पुरानो वाठ हों
गयी थी। इस वात को भी पुराना राजतन्त्र जान झि भारतीयो के ज्िए तिटिश राजदूत ने ट्रान्सवाल के साथ लड़ाई को ं थी। लड़ाई के कारणों मेट्रान्सव
ाल में भारतीयों फी खराब स्थिति भी एक कारण था। इस बात को तो उन श्रधिरारियों ने कहा
था बिन््हें लो स्थानीय अतुभव थाऔर न जिसहोंने दूर-दृष्ट से ही काम् लिया था। स्थानीय अधिकारियों नेअपने
स्थानीय अतुभष से यह साफ-साफ बता दिया कि सिर बोझर शत्त्य के
समथ भारतीयों के छिज्ञाफ जो-जो बनाये गये ये, वे नतो पूर्ण थेकौर न पदतियुक्त। कानून बारवब में ब्रिटिश व्यापारी के लिए यह घड़ी हानिकर बात है कि हिन्दृस्तानी
जी धाहे उधर से घुस जायें और उनके दिल में आवे वहाँ अपना सनमाना व्यापार करें। इन सव दलीतों का भौर ऐसी ही अन्य दक्षौलों ॥। गोरों और घनके प्रतिनिधियों पर बढ़ा गहस असर 'पड़ा |वे
सव यह चाहते थे कि फेस-सें-क्म समय में अधिक