पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/२५६

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तुलसी की खोज २५३ इट इज सेड दैट इन द रेन ऑव अकबर ए होली मैन नेम्ड तुलसीदास यहाँ भी प्रवाद का आधार नहीं दिया गया है। हाँ, आगे चल कर इतना अवश्य कहा गया है- दिस इज ऑव कोर्स तुलसीदास, दी ऑथर आँच द रामायन कहने का तात्पर्य यह कि जनश्रुति की व्याख्या गजेटियरकार ने अपने ज्ञानानुसार की है जिसे खरी कसौटी पर कसे बिना सिद्ध समझना भारी भूल है। अस्तु, 'वार्ता' और 'प्रियर्सन के विषय में नये सिरे से कुछ कहने की आवश्यकता नहीं । उनके प्रसंग में जितना कह दिया गया है इस अवसर के लिये पर्याप्त है। हाँ, अति साहित्य का ब्लैक होल संक्षेप वा सूत्ररूप में इतना निवेदन कर देने का अवसर आ गया है कि वस्तुतः 'ग्रियर्सन' के सोरवीकरण का नाम ही सोरों-सामग्री है । उसका 'ब्लैकहोल' से कुछ नाता भी हो तो आश्चर्य क्या ? क्या उक्त कूटनीति का क्षेत्र भाषा और साहित्य न था जो 'प्रियर्सन और उनके साथियों को सर्वथा दूध का धुला मान लें ? कहते हैं- अँगरेज इतिहासकारों के मतानुसार नवाव ने इनमें से १४६ अँगरेज कैदियों को एक कोठरी में बंद करवा दिया। जून का महीना था । अतः जब प्रातः काल कोठरी खोली गई तो उनमें केवल २३ व्यक्ति ही जीवित पाए गए। शेप गर्मी की अधिकता और हवा की कमी के कारण उस छोटी कोठरी में घुट कर मर गए । यह घटना इतिहास में ब्लैकहोल के नाम से प्रसिद्ध की गई । परन्तु आधुनिक अन्वेषण ने सिद्ध कर दिया है कि इसमें कुछ भी सत्य नहीं है । यह केवल अंगरेजों की मन.