पृष्ठ:तुलसी की जीवन-भूमि.pdf/२३५

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२३२ तुलसी की जीवन-भूमि नितांत संदिग्ध और अमान्य समझी जाती है। बांदा प्रांत के राजापुर गाँव को ही अधिक विद्वान् प्राचीन परंपरा और अन्य प्रमाणों के आधार पर तुलसीदास जी की जन्मपुरी मानते हैं । [तुलसी, द्वि० सं०, पृष्ठ ८] आश्चर्य और विस्मय की बात है कि यह सब कुछ खोज प्रयाग के पच्छिम' में ही होती रही है, कभी 'पूरव' में किसी स्थान को यह महत्त्व नहीं मिला है। अब तक भ्रांत मत उपलब्ध प्रमाणों में विलसन का प्रमाण ही सब से प्राचीन है और वही सब से अधिक भ्रांत भी । कारण यह कि चित्रकूट के पास कहीं उनके हाजीपुर' का पता नहीं । राजापुर के श्री रामवहोरी शुक्ल के इस कथन के विरोध में कहा ही क्या जा सकता है कि- संभव है उन्होंने राजापुर को ब्रमवश हाजीपुर लिख दिया हो। हमारी समझ में स्थिति यही है । हम जानते जो हैं कि वस्तुतः विलसन साहब को जो सामग्री 'काशी' से प्राप्त हुई थी फारसी में थी। और फारसी में 'राजापुर' को 'हाजीपुर' त्वरा में पढ़ जाना असंभव नहीं। तो भी कहना डा० माताप्रसाद गुप्त का है 'मननीय- इस परिपाटी के अध्ययन का एक प्रकार से श्रीगणेश करनेवाले स्वर्गीय एच० एच० विलसन महोदय थे। 'एक प्रकार से' मैंने इसलिए कहा कि यद्यपि आपने स्वतः हमारे महाकवि की रचनाओं का अध्ययन संभवतः न किया होगा, पर आपके बाद के कई लेखकों ने जो तुलसी- दास का अध्ययन हमारे सामने उपस्थित किया, उसमें दिए हुए जीवन- वृत्त के प्रमुख आधार आप ही थे । 'ए स्केच आव दि रेलिजस सेक्ट्स आव् दि हिंदूज' नामक आप का वह निबंध जिसमें हमारे कवि का